युधिष्ठर को पूर्ण संकेत था कि….
कलयुग में क्या होगा ? Suvichar
भले ही मैं सूरज नहीं…
दीपक तो हूँ…
हटाकर के अंधेरे को…
उजाला तो बाँट देता हूँ…!
सभी खुश हों इसीलिए…
मैं तकलीफ़ों में दिन काट देता हूँ.

दो तरह के लोगों से सावधान रहे.
पहले वो है…
जो आपमें उस कमी को बताएं
जो आप में, है ही नहीं. और…
दूसरे वो है…
जो आप में उस खूबी बताते रहें
जो असल में आप में नहीं है.
युधिष्ठर को पूर्ण संकेत था कि…. कलयुग में क्या होगा…?
पूरा अवश्य पढें, आपको जरूर अच्छा लगेगा.
पांच पाण्डवों का अज्ञातवाश समाप्त होने में कुछ ही समय
बाकी रह गया था। पाँचो पाण्डव एवं द्रोपदी जंगल मे छूपने की जगह
तलाश कर रहे थे…
दूसरी तरफ शनिदेव की आकाश मंडल से पाण्डवों पर नजर पड़ी.
शनिदेव के मन विचार आया कि
इन 5 में बुद्धिमान कौन है… क्यों ना परीक्षा ली जाय.
शनिदेव ने एक माया का महल बनाया कई योजन दूरी में उस महल के चार कोने थे.
पूरब, पश्चिम, उतर, दक्षिण.
अचानक भीम की नजर महल पर पड़ी, और वो उस मायावी महल से आकर्षित हो गया…
भीम, यधिष्ठिर से बोला – भैया मुझे ये महल को देखना है… भाई यधिष्ठिर ने कहा जाओ..
भीम महल के द्वार पर पहुंचा वहाँ शनिदेव दरबान के रूप में खड़े थे.
भीम बोला- मुझे महल देखना है…!
शनिदेव ने कहा – महल देखने की कुछ शर्त है…
पहली शर्त है, महल में चार कोने हैं, लेकिन आप एक ही कोना देख सकते हैं.
दूसरी शर्त है, तुम महल में जो कुछ भी देखोगे, उसकी सार सहित व्याख्या करोगे.
तीसरी और अन्तिम शर्त है, अगर तुम व्याख्या नहीं कर सके तो कैद कर लिए जाओगे.
भीम ने कहा – मुझे आपकी शर्त मंजूर है. और वह महल के पूर्व कोने की ओर गया.
वहां जाकर उसने अद्भूत पशु पक्षी और फूलों और फलों से लदे वृक्षों का दृश्य देखा.
आगे जाकर देखता है कि, वहा आजू – बाजू में दो छोटे कुंए है, और बीच में एक बडा कुआ है.
बीच वाले बड़े कुंए में पानी का उफान आता है और दोनों छोटे खाली कुओं को पानी से भर देता है.
फिर कुछ देर बाद दोनों छोटे कुओं में उफान आता है तो खाली पड़े बड़े कुंए का पानी आधा रह
जाता है…! इस क्रिया को भीम कई बार देखता है, लेकिन उसे समझ नहीं पाता और लौटकर
दरबान के पास आता है.
दरबान – आपने क्या देखा…?
भीम – महाशय मैंने पेड़ पौधे पशु पक्षी देखा, वो मैंने पहले कभी नहीं देखा था
जो अजीब थे. एक बात समझ में नहीं आई छोटे कुंए पानी से भर जाते हैं बड़ा
क्यों नहीं भर पाता, ये मेरे समझ में नहीं आया.
दरबान बोला आप शर्त के अनुसार बंदी हो गये हैं और बंदी घर में बैठा दिया.
अब अर्जुन आया बोला – मुझे महल देखना है, दरबान ने वही शर्त बता दी और
अर्जुन पश्चिम वाले कोने की तरफ चला गया.
आगे जाकर अर्जुन क्या देखता है… एक खेत में दो फसल उग रही थी एक तरफ
बाजरे की फसल और दूसरी तरफ मक्का की फसल.
बाजरे के पौधे से मक्का निकल रही तथा मक्का के पौधे से बाजरी निकल रही…!
अजीब लगा कुछ समझ नहीं आया वापिस द्वार पर आ गया.
दरबान ने पूछा, आपने क्या देखा…?
अर्जुन बोला महाशय सब कुछ देखा पर बाजरा और मक्का की
बात समझ में नहीं आई.
शनिदेव ने कहा शर्त के अनुसार आप बंदी हैं.
नकुल आया और बोला – मुझे महल देखना है.
फिर वह उत्तर दिशा की और गया, वहाँ उसने देखा कि..
बहुत सारी सफेद गायें जब उनको भूख लगती है तो अपनी छोटी बछियों का
दूध पीती है उसे कुछ समझ नहीं आया द्वार पर आया.
शनिदेव ने पूछा क्या देखा…?
नकुल बोला महाशय गाय बछियों का दूध पीती है यह समझ नहीं आया
तब उसे भी बंदी बना लिया.
सहदेव आया बोला – मुझे महल देखना है, और वह दक्षिण दिशा की और गया.
अंतिम कोना देखने के लिए क्या देखता है, वहां पर एक सोने की बड़ी शिला,
एक चांदी के सिक्के पर टिकी हुई डगमग डोले पर गिरे नहीं छूने पर भी वैसे ही रहती है,
समझ नहीं आया, वह वापिस द्वार पर आ गया और बोला सोने की शिला की बात समझ में
नहीं आई, तब वह भी बंदी हो गया.
कलयुग में क्या होगा ? – Suvichar
बहुत देर से चारों भाई नहीं आये तब, युधिष्ठिर को चिंता हुई वह भी द्रोपदी सहित
महल में गये.
भाइयों के लिए पूछा तब दरबान ने बताया वो शर्त अनुसार बंदी है.
युधिष्ठिर बोला भीम तुमने क्या देखा…? भीम ने कुंऐ के बारे में बताया
तब युधिष्ठिर ने कहा – यह कलियुग में होने वाला है.. एक बाप दो बेटों का
पेट तो भर देगा लेकिन, दो बेटे मिलकर एक बाप का पेट नहीं भर पायेंगे.
भीम को छोड़ दिया.
कलयुग में क्या होगा ? – Suvichar
अर्जुन से पुछा तुमने क्या देखा…? उसने फसल के बारे में बताया…
युधिष्ठिर ने कहा- यह भी कलियुग में होने वाला है…!
वंश परिवर्तन अर्थात ब्राह्मण के घर शूद्र की लड़की और शूद्र के घर
बनिए की लड़की ब्याही जायेंगी.
अर्जुन भी छूट गया.
नकुल से पूछा तुमने क्या देखा तब उसने गाय का वृतान्त बताया.
तब युधिष्ठिर ने कहा – कलियुग में माताऐं अपनी बेटियों के घर में पलेंगी
बेटी का दाना खायेंगी और बेटे सेवा नहीं करेंगे.
तब नकुल भी छूट गया.
सहदेव से पूछा तुमने क्या देखा, उसने सोने की शिला का वृतांत बताया,
तब युधिष्ठिर बोले – कलियुग में पाप धर्म को दबाता रहेगा परन्तु धर्म फिर भी
जिंदा रहेगा, खत्म नहीं होगा.
कलयुग में क्या होगा ? – Suvichar
आज के कलयुग में यह, सारी बातें सच साबित हो रही है.
मुझे बहुत ही अच्छा लगा तो आपके समक्ष रखा है.
मैं आशा करता हूँ कि….
आप इसे और भी लोगों तक पहुचायेंगे.
धन्यवाद
जय श्री कृष्ण 🙏
श्रेष्ठ वही है जिसमें…
दृढ़ता हो, जिद नहीं.
बहादुरी हो… जल्दबाजी नहीं.
दया हो… कमजोरी नहीं.
ज्ञान हो… अहंकार नहीं.
करूणा हो… प्रतिशोध नहीं.
निर्णायकता हो… असमंजस नहीं.

अगर लोग आपकी अच्छाई को
आपकी कमजोरी समझने लगते हैं,
तो यह उनकी समस्या है, आपकी नहीं.

जय श्री कृष्ण, जय श्री राधे