खुशी इस पर
निर्भर नहीं करती की…
आप कौन है…
या आपके पास क्या है…
यह सिर्फ इस पर
निर्भर करती है कि…
आप क्या सोचते हैं.
डेल कार्नेगी
डिप्रेशन – सुंदर विचार – Sunder Vichar – छान विचार मराठी
एक चालीश वर्षीय आदमी बहुत ही तनाव में रहते थे. इसीलिए उनकी पत्नी उन्हें
एक सलाहकार ( काउंसलर ) के पास लेकर गई जो की ज्योतिषी भी थे.
उन्हें अपनी पति की कुंडली दिखाई और बताया की मेरे पति बहुत डिप्रेशन में हैं.
इनकी इस हालत की वजह से मैं भी काफी परेशान रहती हूँ.
ज्योतिषी जी ने उनकी कुंडली देखी तो सब सही पाया.
अब उन्होनें काउंसलिंग शुरू की… फिर कुछ व्यक्तिगत बातें भी पूछीं
और उनकी की पत्नी को बाहर बैठने को कहा.
अब उस आदमी ने सलाहकार को बताना सुरु किया…
बहुत परेशान हूँ सर…
चिंताओं से पूरी तरह से दब गया हूँ…
नौकरी का प्रेशर…
बच्चों के शिक्षा की और उनके नौकरी की चिंता
घर का कर्ज…
कार का कर्ज…
किसी भी चीज में मन नहीं लगता….
कुछ भी अच्छा नहीं लगता….
दुनियाँ तोप समझती है…
लेकिन मेरे पास तो कारतूस जितना भी सामान नही.
मैं बहुत ही तनाव में हूँ…
ऐसा कहते हुये अपने पूरे जीवन की किताब खोल दी.
डिप्रेशन – सुंदर विचार
ये सब सुनकर वह विद्वान काउंसलर शांत होकर बैठ गया और सोचने लगा.
थोड़ी देर कुछ सोचकर उस आदमी से पूछा…
आप दसवीं क्लास किस स्कूल में पढ़ते हो…?
उन्होंने सलाहकार को स्कूल का नाम बता दिया…
फिर सलाहकार ने कहा आपको उस स्कूल में जाना पड़ेगा…
और वहाँ से आपकी दसवीं क्लास के सभी टुकड़ी के हाजरी रजिस्टर लेकर आना.
वो आदमी स्कूल गया… चार टुकड़ी अ,ब,क,ड, के रजिस्टर ले आया और सलाहकार
को दिया… सलाहकार ने वो रजिस्टर देख कर वापस उनके हाथ में देते हुए कहा की
इन रजिस्टर में से अपने मित्र और जिन्हें तुम जानते हो ऐसे साथियों के नाम लिखो…
उन्हें ढूंढो एवं उनके वर्तमान हालचाल की जानकारी लाने की कोशिश करो.
सारी जानकारी को डायरी में लिखना और एक महीने के बाद मिलना.
चार टुकड़ी के चार रजिस्टर… जिसमें २०० नाम थे… और महीना भर दिन रात घूमे…
बड़ी मुश्किल से अपने १३० सहपाठियों के बारे में जानकारी जुटा पाए.
आश्चर्य उसमें से २०% लोग मर चुके थे.
७% लड़कियाँ विधवा और १३% तलाकशुदा या अलग रहती थीं.
१५% नशेडी निकले जो बात करने के भी लायक़ नहीं थे.
२०% का पता ही नहीं चला की अब वो कहाँ हैं.
५% इतने ग़रीब निकले की पूछो मत…
५% इतने अमीर निकले की उन्होंने पूछा भी नहीं.
कुछ केन्सर ग्रस्त… ५-६% लकवा, डायबिटीज़, अस्थमा या दिल के रोगी निकले,
३-४ % का एक्सीडेंट्स में हाथ/पाँव या रीढ़ की हड्डी में चोट से बिस्तर पर थे.
२ से ३% के बच्चे पागल… आवारा या निकम्मे निकले.
एक जेल में था… और एक ४० की उम्र में सैटल हुआ था इसलिए अब
शादी करना चाहता था…
एक तो अभी भी सैटल नहीं था पर दो तलाक़ के बावजूद तीसरी शादी की फ़िराक़ में था…
महीने भर में… दसवीं कक्षा के सारे रजिस्टर भाग्य की व्यथा ख़ुद सुना रहे थे…
सलाहकार ( काउंसलर ) ने पूछा कि अब बताओ आपका तनाव ( डिप्रेशन ) कैसा है…?
उस आदमी को समझ आ गया की… उसे कोई बीमारी नहीं है…
वो भूखा नहीं मर रहा है… उसका दिमाग एकदम सही है…
कचहरी पुलिस – वकीलों से उसका पाला नही पड़ा…
उसके बीवी-बच्चे बहुत अच्छे हैं… स्वस्थ हैं…. वो भी स्वस्थ है…
डाक्टर अस्पताल से पाला नहीं पड़ा.
उन्होंने रियलाइज किया कि दुनियाँ में वाक़ई बहुत दुख: हैं…
और मैं बहुत सुखी और भाग्यशाली हूँ…
आज दो बात तय हुईं कि… धीरूभाई अम्बानी बनें या ना बनें ना सही…
और भूखा नहीं मरे… बीमार बिस्तर पर ना गुजारें… जेल में दिन न गिनना पड़े…
तो इस सुंदर जीवन के लिए ऊपर वाले को धन्यवाद देना ही सर्वोत्तम है.
क्या आपको भी लगता है कि आप डिप्रेशन में हैं…?
अगर आप को भी ऐसा लगता है तो आप भी अपने स्कूल जाकर दसवीं कक्षा का
रजिस्टर ले आयें…!
Sunder Vichar – अच्छे विचार हिंदी

याद रखिए…
आप की अनुमति के बिना
कोई भी आपको
हीन नहीं महसूस करा सकता.
एलेनोर रोसवैल्ट

सृष्टि कितने भी बदल जाए…
हम सुखी नहीं हो सकते.
लेकिन…
दृष्टि जरा सी बदल जाए…
हम सुखी हो सकते हैं.
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