प्रेरणादायक हिंदी कहानी | अंहकार की सजा |
Hindi Story | Ego
एक बहुत बड़ा घना जंगल था.
उसी जंगल में एक आम और एक पीपल का भी पेड़ था.
एक बार एक मधुमक्खीयों का झुंड उसी जंगल में रहने आया, लेकिन…
उन मधुमक्खीयों के झुंड को रहने के लिए एक घना पेड़ चाहिए था…
झुंड की मुखिया रानी मधुमक्खी की नजर एक पीपल के पेड़ पर पड़ी तो…
रानी मधुमक्खी ने पीपल के पेड़ से कहा, हे पीपल भैया… क्या मै आपके इस
घने पेड़ की एक शाखा पर अपने परिवार का छत्ता बना लु…?
पीपल का स्वभाव अहंकारी था… उसे कोई परेशान करे यह पीपल को बिल्कुल भी
पसंद नही था. अपने अंहकार के कारण पीपल ने रानी मधुमक्खी से गुस्से में कहा…
हटो यहाँ से… जाकर कहीं और अपना छत्ता बनालो. मुझे परेशान मत करो.
पीपल की बात सुन कर पास ही खडे आम के पेड़ ने कहा…
पीपल भैया बना लेने दो छत्ता…
ये तुम्हारी शाखाओं में सुरक्षित रहेंगी…!
प्रेरणादायक हिंदी कहानी | अंहकार की सजा |
Hindi Story | Ego
पीपल ने आम से कहा… तुम अपना काम करो…
तुम्हे इतनी ही चिंता है तो… तुम ही अपनी शाखा पर छत्ता बनाने के लिए
क्यों नही कह देते…!
इस बात से आम के पेड़ ने रानी मधुमक्खी से कहा…
हे रानी मक्खी… अगर तुम चाहो तो….
तुम मेरी शाखा पर अपना छत्ता बना सकती हो…
इस पर रानी मधुमक्खी ने आम के पेड़ का आभार व्यक्त किया
और अपना छत्ता आम के पेड़ पर बना लिया.
कुछ दिनो बाद जंगल में एक दिन कुछ लकडहारे आए. उन लोगों को आम का पेड़
दिखाई दिया और वे आपस में बात करने लगे की… इस आम के पेड़ को काट कर
लकडीया ले लेते है…
सभी लकडहारे अपनी अपनी कुल्हाड़ी लेकर आम के पेड़ को काटने लगे…
तभी एक लकडहारे ने ऊपर की और देखा तो उसने दूसरे से कहा…
अरे… रुको मित्रो… इस पेड़ को मत काटो… इस पेड़ पर तो मधुमक्खी का छत्ता है…
कहीं ये उड गई तो हमारा बचना मुश्किल हो जायेगा.
सभी रुक गए… तभी एक लकडहारे ने कहा… क्यों ना हम लोग इस पीपल के पेड़
को ही काट लेते है… इस पेड़ से हमें और भी ज्यादा लकड़िया मिल जाएगीं.
और हमें कोई खतरा भी नहीं होगा.
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Hindi Story | Ego
सभी लकडहारे मिलकर पीपल के पेड़ को काटने लगे…
पीपल का पेड़ दर्द के कारण जोर – जोर से चिल्लाने लगा…
बचाओ – बचाओ – बचाओ….
आम को पीपल की चिल्लाने की आवाज आई… तो उसने देखा की…
कुछ लोग मिल कर उसे काट रहे हैं…!
आम के पेड़ ने मधुमक्खी से कहा… हमें पीपल के प्राण बचाने चाहिए…
आम के पेड़ ने मधुमक्खी से पीपल के पेड़ के प्राण बचाने की विनंती किया तो…
मधुमक्खी ने उन लोगो पर हमला कर दिया… और वे लोग अपनी जान बचा कर
जंगल से भाग गए…!
पीपल के पेड़ ने मधुमक्खीयों को धन्यवाद दिया और अपने व्यवहार के लिए
क्षमा मांगी.
तब मधुमक्खीयों ने कहा… धन्यवाद हमें नहीं… आम के पेड़ को दो…
जिन्होंने आपकी जान बचाई है…! क्योंकि… हमें तो इन्होंने कहा था की…
अगर कोई बुरा करता है तो इसका मतलब यह नही है की…
हम भी वैसा ही करे.
अब पीपल को अपने किये पर पछतावा हो रहा था और उसका अंहकार भी
पूरी तरह से टूट चुका था.
पीपल के पेड़ को उसके अंहकार की सजा भी मिल चुकी थी.
शिक्षा :- हमे कभी भी अंहकार नही करना चाहिए…
जितना हो सके… दूसरों के काम ही आना चाहिए…
जिससे समय पड़ने पर तुम भी किसी से मदद मांग सको.
जब हम किसी की मदद करेंगे तब ही कोई हमारी भी मदद करेगा.
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