बुद्धिमान राजा | हिंदी-प्रेरणादायक कहानी | Hindi Story | कथा
एक राज्य का यह नियम था की… वहा की प्रजा एक वर्ष के बाद अपने
राजा को बदल लेते थे.
जिस दिन राजा का एक वर्ष पूर्ण हो रहा हो उस दिन
उस राज्य की राजधानी वाले शहर में जो भी व्यक्ति सबसे पहले आता था…
उसे ही वहां की प्रजा नया राजा घोषित कर देती थी…!
जो व्यक्ति एक साल तक राजा रहा है, उसे उसी राज्य के घने जंगल के
बिच में छोड़ दिया जाता था. जहाँ पर कई सारे खूंखार जानवर थे.
वह व्यक्ति किसी प्रकार खूंखार जानवरों से बच भी गया तो….
भूक प्यास से उसका मरना तय था…!
इस तरह से तो ना जाने कितने ही राजा ऐसे ही एक साल तक
राज करने के बाद जंगल में जाकर मर गए थे.
इसी नियम नुसार एक बार शहर में एक युवा किसी दूसरे राज्य से आया.
वह युवा इस राज्य के नियम से बिलकुल ही अंजान था. प्रजा ने आगे बढ़ कर
उसे शुभकामनाएं दीं और उसे बताया कि… आपको इस राज्य का नया राजा
राजा बनाने का विचार यहां की प्रजा द्वारा लिया गया है.
नए राजा को बड़े ही शान और के साथ राजमहल में ले जाया गया.
वह युवा आश्चर्यचकित भी था और प्रसन्न भी. सिंहासन पर बैठते ही
युवक ने पूछा कि अभी वह राजा कहाँ है…?
जो मुझसे पहले इस राज्य के राजा थे…!
बुद्धिमान राजा | हिंदी-प्रेरणादायक कहानी
राज दरबार के दरबारियों ने युवक को अपने राज्य का नियम बताया कि
किस प्रकार से पुराने राजा को जंगल में छोड़ कर ही नए राजा का चुनाव
किया जाता है.
राज्य के नियम को सुनकर तो युवक थोड़ी देर के लिए परेशान हुआ…
परन्तु कुछ देर सोचने के बाद उसने कहा की…
आप लोग मुझे वह स्थान दिखावो… जहां पर तुम लोग
एक वर्ष के बाद अपने राजा को छोड़कर आते हो.
दरबारियों ने अपने साथ कुछ सिपाहियों को साथ में लिया और
नए राजा को वह स्थान दिखाने के लिए जंगल में ले गए. नए राजा ने
अच्छी तरह उस स्थान को और आस पास की जगह को देखा और वापस
अपने राजमहल में आ गया.
नए राजा ने अपना सबसे पहला आदेश जारी किया कि… मेरे राजमहल से
जंगल तक एक अच्छी सड़क बनाई जाए. और जंगल के मध्यभाग में एक सुंदर
राजमहल बनाया जाए. और उस राजमहल में सभी तरह की सुविधा उपलब्ध हो.
राजमहल के बाहर में सुंदर बगीचा बनाया जाए.
राजा के आदेश का पालन किया गया. कुछ ही महीनों के अंदर जंगल में सड़क
और एक राजमहल बनकर तैयार हो गया.
एक वर्ष पूरा होते ही, राजा ने दरबारियों से कहा कि… तुम लोग अपने राज्य के
नियम का पालन करो और मुझे वहां छोड़ आओ… जहां एक वर्ष पूरा होने पर
राजाओ को छोड़ आते हो.
इस पर दरबारियों ने जवाब में कहा की, महाराज… अब से यह नियम
बंद हो गया है…! क्योंकि, अब हमारे राज्य को एक अच्छा बुद्धिमान
राजा मिल गया है.
बुद्धिमान राजा | हिंदी-प्रेरणादायक कहानी
वहां तो हम उन बेवक़ूफ राजाओं को छोड़कर आते थे, जो एक वर्ष की राज शाही के
आनंद में बाक़ी के जीवन को भूल जाते. राजमहल के जीवन के बाद के जीवन के लिए
कोई व्यवस्था नहीं करते थे. जबकि उन्हें भी पता था कि उनको एक वर्ष के बाद यह
सब छोड़ना हि पड़ेगा.
परंतु महाराज… आपने अपने बुद्धि का इस्तेमाल करके और आगे की व्यवस्था
कर ली है… इस राज्य को ऐसे ही बुद्धिमान राजा की तलाश थी.
जीवन का चक्र भी ऐसा ही है. जो आया है… उसे यह ज्ञात है कि उसे भी एक
दिन चले जाना है. जो सिर्फ इस लोक के वैभव में फंसे रहते हैं उनकी अवस्था
बाकी राजाओं के जैसी होती है.
जो इस लोक औऱ परलोक दोनों का विचार करते हैं… वो इस संकट से
निकल जाते हैं.
परलोक सुधारना है तो अच्छे कर्म करिए. अपने सारे कर्म प्रभु को समर्पित करें.
जमा-खाता रखिए और याद करते रहिए कि… आपके अच्छे कर्म ज्यादा जमा
हुए हैं या बुरे कर्म…! क्योंकि गति उसके अनुरूप ही होगी.
धन्यवाद