suvichar | हिंदी प्रेरणादायक कहानी | Sunder Vichar | Hindi Story
कुछ सालो से एक संतश्री गाँव के बहार आश्रम में रहते थे, अपने आश्रम में
नित्य प्रवचन करते.
गाँव वाले प्रवचन सुनने के लिए समय पे उपस्थित रहते थे. कुछ समस्या
हो तो संतश्री से सलाह लेते थे, गाँव में सभी संतश्री को बहुत मानते थे.
एक दिन संतश्री ने एक सप्ताह के लिए मौन धारण कर लिया… गाँव वालो ने
सात दिन तो जैसे – तैसे निकाल लिए लेकिन आठवे दिन पूरा गाँव संतश्री के
आश्रम में उपस्थित हो गया… आश्रम में जगह कम पड़ने लगी…!
संतश्री अपना मौन छोड़कर बाहर आये तो भीड़ देखकर आश्चर्य चकित हो गए…!
संतश्री आसन पर बैठे और सभी अपनी समस्या बताने लगे…
वह भीड़ इतनी हो गयी की कोई एक समस्या बताने लगता तो उसकी बात
पूरी होने से पहले ही कोई दूसरा अपनी बात सुरु कर देता…! सभी जल्दी से
संतश्री से अपनी बात कहना चाहते थे. कुछ ही देर में वहा का दृश्य बाजार के
जैसा हो गया…!
आखिर में संतश्री को जोर से कहना पड़ा, सभी शांत हो जाये और
अपनी – अपनी समस्याओं को एक कागज पर लिखकर दे…!
सभी ने अपनी – अपनी समस्याएं लिखकर संतश्री को दे दियें.
संतश्री ने सभी चिठ्ठी को एक डब्बे में डाल कर मिला दिया और बोले,
सभी इस डब्बे में से एक एक चिठ्ठी को उठाएगा और उसे पढ़ेगा.
उसके बाद उसे निर्णय लेना होगा कि… क्या वो अपनी समस्या को
इस समस्या से बदलना चाहता है…?
हर व्यक्ति एक चिठ्ठी उठाता … उसे पढता और डर जाता था .
एक -एक कर के सभी ने चिठ्ठीया देख ली पर कोई भी
अपनी समस्या के बदले किसी और की समस्या लेने को
तैयार नहीं हुआ.
सभी का यही सोचना था कि उनकी अपनी समस्या चाहे
कितनी ही बड़ी क्यों न हो बाकी लोगों की समस्या जितनी
गंभीर नहीं है .
दो घंटे बाद सभी अपनी-अपनी पर्ची हाथ में लिए लौटने लगे.
वे खुश थे कि उनकी समस्या उतनी बड़ी भी नहीं है जितना कि
वे सोचते थे .
मित्रो,
ऐसा कौन होगा जिसके जीवन में एक भी समस्या ना हो…? हम सभी के
जीवन में समस्याएं हैं…! किसीको आर्थिक समस्या है, किसी को मानसिक है,
तो कोई अपने स्वास्थ्य से परेशान है…! हमें इस बात को स्वीकार करना
चाहिए कि जीवन है तो, छोटी – मोटी समस्याएं आती ही रहेंगी.
ऐसे में दुःखी हो कर… निराश होकर उसी के बारे में सोचने से अच्छा है कि
हम अपना ध्यान उसके निराकरण में लगाएं … और अगर उसका
कोई समाधान ही ना हो तो दुसरे अपने जीवन के मार्ग पर ध्यान केंद्रित करें.
हमें ऐसा लगता है कि… सबसे बड़ी समस्या हमारी ही है, लेकिन विश्वास करें
इस दुनिया में लोगों के पास इतनी बड़ी – बड़ी समस्या… हैं कि हमारी समस्या
तो उनके सामने कुछ भी नहीं…! इसलिए भगवान ने जो भी दिया है, उसके लिए
भगवान का आभारी रहिये और एक खुशहाल जीवन जीने का प्रयास करिये…!
जय श्री कृष्णा
ओम् नम: शिवाय
आनेवाले कल की चिंता करने में
आज के आनंद को क्यों ख़राब करूँ…!
इस माटी ने जो रूप, रंग, रस, गंध दिए है…
उनका नाम ख़राब क्यों उसे करूँ…!
मैं हँसता हूँ, क्योंकि… हँसना मुझे आता है…!
मैं खिलता हूँ, क्योंकि खिलना मुझे भाता है…!
मैं मुरझा गया तो क्या…
कल फिर एक नया फूल खिलेगा…
ना कभी मुस्कान रुकी हैं, ना ही सुगंध…
जीवन तो एक सिलसिला है…
इसी तरह चलेगा…!
जो आपको मिला है उस में खुश रहिये…
और भगवान का धन्यवाद कीजिए.
क्योंकि आप जो जीवन जी रहे हैं…
वो जीवन कई लोगों ने देखा तक नहीं है…!
जिसका पालन पालना की तरह हो
उसके साथ भगवान सदा ही रहते है.
जिसको हम देख नही सकते…
लेकिन अनुभूति किया जा सकता है…!
जीवन ऐसे जीना चाहिए कि…
कोई अगर हँसे तो
हमारी वजह से हँसे…!
हम पर नही. और
अगर कोई रोए तो
हमारे लिऐ रोए…!
हमारी वजह से रोए नहीं…!
शमशान इस बात का साक्षी है की
भगवान की नजरों में
ना कोई बड़ा है ना कोई छोटा …
पर जीते जी इस बात को कोई नहीं समझता..
संसार में बहुत बार यह बात कहने
और सुनने को मील जाती है कि…
आदमी ने ज्यादा सीधा और सरल
नहीं होना चाहिए…
सीधे और सरल व्यक्ति का
हर कोई फायदा उठाता है.
एक कहावत भी कही जाती है कि…
टेढे पेड़ को कोई हाथ भी नहीं लगाता
और सीधा पेड़ ही काटा जाता है.
टेढ़े लोगों से संसार दूर भागता है…!
और सीधों को परेशान किया जाता है.
तो क्या फिर सहजता और सरलता को
छोड़कर कर टेढ़ा ही हुआ जाए…?
लेकिन यह बात जरूर समझ लेना की….
संसार में जितना भी रचनात्मक काम
हुआ है, वह टेढ़े लोगों से नहीं
सीधों से ही हुआ है.
अगर कोई भी सीधा पेड़ कटता है तो…
उस पेड़ की लकड़ी घर बनाने में
या घर सजाने में हीं काम आती है…!
मंदिर में भी
जिस शिला में से भगवान का
रूप प्रगट होता है वह टेढ़ी नहीं
कोई सीधी शिला ही होती है.
जिस बांसुरी की मधुर स्वर को सुनकर
हमें आंनद मिलता है…
वो भी किसी सीधे बांस के पेड़ से ही बनती है.
सीधे लोग ही कृष्णशंकर के प्रिय होते हैं…!
जीने का पाठ
पढ़ा रही है जिंदगी…
हमें हमारी सीमाएं
बता रही है जिंदगी…!
सारी उम्र वक़्त का रोना रोते रहे…
आज आईना दिखा रही है जिंदगी…!
प्रफुल्लीत होकर के स्वागत करें
इस सुनसान हुए रास्तों और
गलियों का…..
मौत से लड़ना सिखा रही है जिंदगी…!
ऐसा भी एक वक़्त जरूर आयेगा दोस्त…
जब तुम सभी से इस कठिन घडी को
बहुत प्रसन्न होकर सुनाएंगे…!
समस्या को धनवान धन से…
बलवान बल से… ढोंगी तंत्र मंत्र से…
असहाय चाटुकारिता से…
और ज्ञानी युति से…
हल करने की सलाह देते हैं.
लेकिन समस्या हल करने से नहीं…
उस कारण का
अंत करने से ही समाप्त होती है.
हमारी समस्या का समाधान
केवल हमारे पास है…!
दूसरों के पास तो केवल सुझाव है.
समस्याओं का
अपना कोई आकार नहीं होता…!
वह तो सिर्फ हमारी सुलझाने की
क्षमता के आधार पर
छोटी या बड़ी होती है.
धरती पर ऐसा कोई भी
व्यक्ति नहीं है… जिसको
कोई समस्या ना हो.
और धरती पर कोई समस्या
ऐसी नहीं है… जिसका कोई
समाधान नहीं.
मंजिल चाहे कितनी भी
ऊंची क्यों ना हो…
रास्ते हमेशा
पैरों के नीचे ही होते हैं.
मेहनत का फल…
और समस्या का हल…
देर से ही सही
पर मिलता जरूर है…!
जब दिमाग कमजोर होता है,
तब… परिस्थितियां समस्या
बन जाती है.
जब दिमाग स्थिर होता है,
तब… परिस्थितियां चुनौती
बन जाती है.
लेकिन जब दिमाग मजबूत
होता है… तब परिस्थितियां
अवसर बन जाती है.
जीवन की हर समस्या
ट्रैफिक की लाल बत्ती की
तरह होती है…! अगर हम
थोड़ी देर प्रतीक्षा कर ले…
तो वह हरी हो जाती है.
धैर्य रखिए… प्रयास करें…
समय बदलता ही है.
परिस्थितियां कभी भी
समस्या नहीं बनती.
समस्या तभी बनती है…
जब हमें परिस्थितिंयो से
निपटना नहीं आता.
अगर लोग आपकी अच्छाई को
आपकी कमजोरी समझने लगते हैं…
तो यह समस्या उनकी है,
आपकी नहीं. आप तो आईना हो,
आईना ही बने रहो…
फ़िक्र तो वो करें
जिनकी शक्लें खराब है.