Busy Lifestyle – जीने की तैयारी |
Sunder Vichar |
Good Thoughts In Hindi
कल मैं फैक्ट्री से जल्दी घर चला आया. हर दिन मुझे आते आते रात के
8 बज ही जाते है. लेकिन कल फैक्ट्री से 5 बजे ही निकल गया.
घर पहुचते पहुचते 6 बज गए.
फैक्ट्री से सोच के निकला था की घर जाकर पत्नी से बाते करूँगा…!
और बातो बातो में फिर धीरे से कहूँगा की चलो कहीं बाहर खाना खाने
चलते है.
जब हमारी नयी नयी शादी हुई थी, तब हम कभी कभी ऐसा करते थे.
जीने की तैयारी
आज जब घर पे पंहुचा तो पत्नी टीवी देख रही थी. मुझे लगा की शायद
उसका कोई पसंदीदा सीरियल चल रहा है. अभी डिस्टर्ब करना ठीक नहीं
रहेगा.
डिस्टर्ब ना करने के भी दो कारण थे, पहला था डर…! क्योंकी कभी कभी
जब ये सीरियल देख रही होती है, तभी मै घर पहुँचता हु. और कुछ बोल
देता हु तो… उसका पसंदीदा सीरियल चुक जाता है. वो नाराज हो जाती है.
कभी कभी तो गुस्सा होकर दो बाते भी सुना देती है. दूसरा था प्यार…!
वो डिस्टर्ब ना हो… और अपनी पसंदीदा सीरियल से भी नहीं चुके.
इसीलिए सीरियल ख़त्म होने तक कुछ देर मोबाईल लेके सोफे पे बैठ गया.
कुछ फैक्ट्री का हिसाब और कल की प्लानिंग भी लिख लिया. कल कुछ
भुल गया तो मुस्किल हो जाएगी… ये सोचके काम में लग गया.
मोबाईल देखते देखते बहोत देर हो गयी.
मन बनाया था की पत्नी के साथ बैठ कर बातें करूंगा…..! फिर खाना
खाने बाहर जाऊंगा… पर कब 06 से 09 कब बज गए पता ही नहीं चला.
पत्नी ने वहीं सोफे के टेबल पर खाना लगा दिया. मैं चुपचाप खाना खाने
लगा…. खाना खाते हुए मैंने कहा कि खाना खाकर हम लोग नीचे
टहलने चलेंगे… बातें करेंगे…. पत्नी के चहरे पे ख़ुशी साफ छलक रही थी.
हम खाना खाते रहे, इस बीच मेरी पसंद का सीरियल आने लगा और मैं
खाते – खाते सीरियल में डूब गया. सीरियल देखते देखते हॉल में कब आँख
लगी पता ही नहीं चला. मै वही टेबल पे सो गया था.
जब आँख खुली तब आधी रात हो चुकी थी. मन ही मन में खुद पे ही
बहुत गुस्सा आ रहा था.
Busy Lifestyle
मन में सोच कर घर आया था कि जल्दी आने का फायदा उठाते हुए
आज कुछ समय पत्नी के साथ बिताऊंगा…..! पर यहां तो शाम क्या
आधी रात भी निकल गई.
अपनों को समय दीजिये… अक्सर ऐसा ही होता है ज़िंदगी में…
हम सोचते कुछ और हैं… और होता कुछ और ही है.
हम सोचते हैं कि
एक दिन हम जी लेंगे… पर हम कभी नहीं जीते… हम सोचते हैं कि
एक दिन ये कर लेंगे…. वो कर लेंगें… पर कर कुछ नहीं कर पाते है.
आधी रात को हॉल से उठकर हाथ मुंह धो कर बिस्तर पर आया तो पत्नी
सारा दिन के काम से थकी हुई सो गई थी. मैं चुपचाप बेडरूम में कुर्सी
पर बैठ गया. दिमाग में कुछ यादे ताजा हो रही थी.
पंद्रह साल पहले इस लड़की से शादी पक्की होने के बाद पहली बार
मिला था… ठीक से बात भी नहीं कर पा रही थी. उस दिन मैंने वादा
किया था की शादी के बाद… तुम्हारे हर सुख में दुःख में… जिंदगी के
हर मोड़ पे मै तुम्हारे साथ रहूँगा. शादी तो कर लिया…..!
पर ये कैसा साथ….?
Busy Lifestyle – जीने की तैयारी – Sunder Vichar
मैं सुबह उठता हूं अपने काम में लग जाता हूं. वो सुबह उठती है….
एक गिलास गुण गुणा पानी देने के बाद चाय बनाती है…
चाय पीकर मैं मोबाईल पर संसार से जुड़ जाता हूं.
वो नाश्ते की तैयारी करती है… फिर मै फैक्ट्री जाने की तैयारी करता हु.
तैयार होता हु. वो लंच बॉक्स देती है. पानी बोतल, मोबाईल चार्जर.
घर से निकलते तक वो मेरे ही छोटे मोटे कामो में लगी रहती है.
मैं शान से फैक्ट्री के लिए निकलता हु. मेरे फैक्ट्री निकलने के बाद वो
घर के काम… जैसे बर्तन, कपडे, घर की सफाई में लग जाती है.
ये काम होते होते, रात के डिनर की तैयारी करने का समय हो
जाता है. ये काम करके फिर डिनर की तैयारी में लग जाती है.
मै रात को देर से घर आता हु. और खाना खाते ही सो जाता हु.
पूरा एक दिन खर्च हो जाता है…..!
जीने की तयारी मे….!
Busy Lifestyle
सुबह नींद से जागने से लेकर रात होने तक वो काम करते रहती है…
लेकिन मुझसे कभी शिकायत नहीं करती….! शिकायत क्यों नहीं करती…?
मैं नहीं जानता….! पर मुझे अपने आप से शिकायत है….!
आदमी जिससे सबसे ज्यादा प्यार करता है… सबसे कम उसी की परवाह
करता है….! ऐसा क्यों…..? कई बार लगने लगता है कि हम खुद के लिए
अब काम नहीं करते…!
हम किसी अनजाने डर से लड़ने के लिए काम करते हैं…! हम जीने के
पीछे अपनी ज़िंदगी बर्बाद कर रहे हैं.
कल से मैं सोच रहा हूं…. वो कौन सा दिन होगा जब हम जीना शुरू करेंगे….
क्या हम गाड़ी, टीवी, फोन, कम्यूटर, कपड़े खरीदने के लिए जी रहे हैं…..?
मैं तो सोच ही रहा हूं, आप भी सोचिए…! कि ज़िंदगी बहुत छोटी होती है…
उसे यूं जाया मत कीजिए….! अपने प्यार को पहचानिए…. उसके साथ
समय बिताइए….
जो अपने माँ बाप भाई बहन सगे संबंधी सब को छोड़ आप से रिश्ता जोडा है,
आपके सुख-दुख में शामिल होने का वादा किया हैं, उसके सुख-दुख को पूछिए
तो सही…..!
एक दिन अफसोस करने से बेहतर है… सच को आज ही समझ लेना कि
ज़िंदगी मुट्ठी में रेत की तरह होती है….
कब मुट्ठी से वो निकल जाएगी, पता भी नहीं चलेगा….
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