आप कैमरे की नजर में हो | Suvichar |
Good Thoughts In Hindi
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प्रभु हमारे द्वारा किये जाने वाले सभी प्रकार के कर्मों को देख रहा होता है…!
अब मन में सवाल यह आता है की… प्रभू का नजर रुपी कैमरा महत्वपूर्ण है या इस
आधुनिक युग का कैमरा…? जो आज कल सभी जगह लगा होता है… और सभी जगह
लिखा होता है, “ आप कैमरे की नज़र में है “ इसे पढते ही हर व्यक्ति चौकन्ना हो जाता है.
और ग़लत काम करने का विचार त्याग देता है.
जब की ये मानव द्वारा बनाया सिर्फ एक यंत्र है. हम भूल जाते हैं की, हम हर समय प्रभू की
नज़र में हैं, और वहाँ की नज़र ना ख़राब होती है, ना बंद होती है ना किसी के आधीन
होती है, मतलब बचाव का कोई तरीका नहीं है…! इस लिये याद रहे…
आप कोई भी अच्छा या बुरा काम करते हैं तो… आप हमेशा प्रभु की नजर रुपी कैमरे
की निगरानी में बने हुए हैं.
फ़रक सिर्फ इतना है की… आधुनिक युग का कैमरा तो दिखाई दे जाता है,
लेकीन प्रभु की नजर रुपी कैमरा दिखाई नहीं देता, परन्तु महसूस तो किया ही
जा सकता है.
आप कैमरे की नजर में हो | Suvichar |
Good Thoughts In Hindi
सभी संघर्ष, लड़ाई, झगड़े, रागद्वेष, कलह इसी कारण से हैं की… अभिमान से ग्रस्त
इंसान अपने आपको सबसे आगे देखने का प्रयत्न करता है, और दूसरे को पीछे.
इस आगे – पीछे के संघर्ष से ही यह विषाक्त बातें फूट पड़ती हैं… लेकीन नम्रता इसका
समाधान करती है. नम्रता का नियम है, सारे जीवों के अन्त में अपनी गिनती करना,
पहले नहीं. अपनी गिनती पहले करना – यह तो अभिमानी का नियम है…!
जब मानव मात्र सबको आगे स्थान देकर अपने लिये पीछे गिनने लगेंगे तो यह सारे
संघर्ष ही समाप्त हो जायेंगे.
बड़प्पन का यही नियम भी है कि जो व्यक्ति बड़ा बनने की कोशिश करेगा,
वह सबसे छोटा बनता दिखाई देगा.
यह संसार तो दो क्षण का विराम है, शरीर यात्रा का एक ठहराव है,
जैसे मुसाफिर रुक जाये वॄक्ष के तले धूप से थका माँदा …फ़िर चल पड़ता है…!
यहाँ घर नही है ….यहाँ तो बस अतिथिशाला है. संत सद्गुरु का सारा संदेश इस छोटी
सी बात मे समा जाता है कि संसार अतिथिशाला है ….और जिसे ये बात समझ आ जाती
है की… संसार अतिथिशाला है, फ़िर वो इस संसार को संवारने में… सजाने में…
लड़ने में… प्रतिस्पर्धा में… ईर्ष्या में… जलन में… अपना समय व्यर्थ नही करता.
लड़ने में… प्रतिस्पर्धा में… ईर्ष्या में… जलन में… अपना समय व्यर्थ नही करता.
फ़िर वह सारी शक्ति से पंख खोल कर उस अनंत यात्रा पर निकल जाता है,
जहाँ शाश्वत घर है , सदा रहने वाला जीवन है, जहाँ लेशमात्र भी दुःख नहीं है,
आवागमन के चक्कर से मुक्त…! अब ना कोई संगी है ना कोई साथी है कहा है परिजन…!
सब छूट गये पीछे… मृत्यु से पहले आत्म साक्षात्कार ना हो जाये तो जीवन व्यर्थ है.
मृत्यु से पहले जाग के जाना… आनंदित हो के जाना… आवागमन से छूट के जाना ही
जीवन की शिक्षा है. जीवन वही सफल है जो आवागमन से छूट गया है.
जीवन की शिक्षा है. जीवन वही सफल है जो आवागमन से छूट गया है.
मौत उनके लिये मौत नही बनी प्रभु का द्वार बनी…! मौत उनके लिये समाधि बनी…!
आनंद की अनुभूति बनी…!
आप कैमरे की नजर में हो | सुंदर विचार |
Good Thoughts In Hindi On Life
सत्य है की लोहे से ही लोहे को काटा जा सकता है… और पत्थर से ही पत्थर को तोडा जा
सकता है… परंतु ह्रदय चाहे कितना भी कठोर क्यों ना हो उसको पिघलने के लिए कभी
सकता है… परंतु ह्रदय चाहे कितना भी कठोर क्यों ना हो उसको पिघलने के लिए कभी
भी कठोर वाणी कारगर नहीं हो सकती क्योंकि वह केवल और केवल नरम वाणी से ही
पिघल सकता है.
पिघल सकता है.
क्रोध को क्रोध से नहीं जीता जा सकता… बोध से जीता जा सकता है.
अग्नि अग्नि से नहीं बुझती जल से बुझती है…! समझदार व्यक्ति बड़ी से बड़ी बिगड़ती स्थितियों
को दो शब्द प्रेम के बोलकर संभाल लेते हैं. हर स्थिति में संयम रखो…
को दो शब्द प्रेम के बोलकर संभाल लेते हैं. हर स्थिति में संयम रखो…
संयम ही आपको क्लेशों से बचा सकता है.
आँखों में शर्म रहे और वाणी नरम रहे तो समझ लेना परम सुख आपसे दूर नहीं.
शब्द भी रूठते हैं…
अपने गलत इस्तेमाल होने पर…
हमने देखा है…
शब्दों को भी अकसर रूठते हुए.
आप कैमरे की नजर में हो | सुंदर विचार |
Good Thoughts In Hindi On Life
बुद्धिमान व्यक्तियों का सहज स्वभाव होता है कि वे किसी की बुराई की अपेक्षा अच्छाई
पर अधिक नजर रखते हैं. संभव हो तो बुराई को अनदेखा ही कर जाते हैं…
और अगर उसकी बात करने की जरूरत भी पड़ती है तो वह निंदा के रूप में नहीं…
असावधानी के रूप में करते हैं…! वह भी इस ढंग से की सामनेवाले पर उसका
प्रभाव प्रतिक्रियात्मक नहीं सृजनात्मक असर पड़े.
असावधानी के रूप में करते हैं…! वह भी इस ढंग से की सामनेवाले पर उसका
प्रभाव प्रतिक्रियात्मक नहीं सृजनात्मक असर पड़े.
गुणों को आगे रखकर किसी के अवगुणों की गई चर्चा व्यक्ति को सुधार की ओर
प्रेरित करती है. इस प्रकार सुधरा हुआ व्यक्ति सब से पहले उस सज्जन व्यक्ति का ही
भक्त बन जाता है.
अपनी जीवन नीति में इस नियम का पालन करने वाले अपने व्यक्तित्व में
प्रभावशीलता का अर्जन करते हैं और अपने जीवन को प्रभावशाली बनाते है.
शब्द शब्द में हो… ब्रह्म
शब्द शब्द में हो… सार
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धन्यवाद
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