Hindi Kavita | कभी सोचा भी नहीं था की
हिंदी कविता | ऐसे भी दिन आ जाएंगे…
कभी सोचा भी नहीं था की…
ऐसे भी दिन आ जाएंगे…!
छुट्टियाँ ही छुट्टियाँ होंगी जीवन में…
लेकीन मना नहीं पाएँगे…!
मौसम तो होगा आइसक्रीम का…
लेकीन खा भी नहीं पाएँगे…!
सारी सड़के खुली होंगी….
लेकिन कही भी जा नहीं पाएंगे…!
जो हमसे दूर रह गए है….
उन्हें भी नहीं बुला पाएँगे…!
और जो हमारे पास हैं…
उनसे हाथ भी मिला नहीं पाएँगे…!
जो अपने घर लौटने की राह तकते थे…
वो उसी घर में ही बंद हो जाएँगे…!
हम जिनके साथ
अपना समय बिताने को तरसते थे…
आज उनसे ही ऊब जाएँगें…!
तारीख़ क्या है… दिन कोनसा है….
ये सब भी भूल जाएँगे…!
कैलेंडर हो जाएँगें निरर्थक….
बस यूँ ही रात के बाद दिन बिताएँगे…!
हवा तो साफ़ हो जाएगी…
लेकीन हम कहाँ, चैन की साँस ले पाएँगे…!
कोई भी चेहरे पें नहीं दिखेगी कोई मुस्कराहट…
सारे चेहरे मास्क से ढक जाएँगें…!
जो ख़ुद को समझते थे सम्राट…
वो मदद के लिए हाथ फैलाएँगे…!
क्या आपने कभी सोचा भी था की
कभी ऐसे दिन भी आ जाएंगे…!
धन्यवाद….!