Hindi Motivational Story | उपयोगिता और अनुपयोगिता का अंतर
Hindi Motivational Story – 1
एक राजा का दरबार लगा हुवा था. अचानक एक संतश्री का राज दरबार में
आगमन हुवा.
राजा को संतश्री के आगमन से आनंद हुवा. राजा ने संतश्री का खुप आदर
सत्कार किया और कुछ दिन महल में ठहरने की विनती की. संतश्री ने
राजा की विनती मानते हुए एक महीने तक रूके. नित्य सत्संग हो रहा था.
संतश्री की सेवा में कोई कमी ना हों इसका राजा पुरा ख्याल रखता.
उन्हें महल की सभी छोटी मोटी वस्तु दिखाई गयी. और उस वस्तु की
जानकारी दी गयी. अच्छा दान देकर संतश्री को महल से विदाई
दी गयी.
Hindi Motivational Story
समय गुजरता गया. कुछ वर्षो के पश्चात संतश्री ने राजा को आश्रम में आने का
आमंत्रण दिया. राजा ने आमंत्रण का स्वीकार किया और समय पर पहुँच गये.
आतिथ्य के उपरांत संत श्री ने राजा को आश्रम की सभी छोटी बड़ी वस्तुओ को
दिखाना आरंभ किया. वैसे सस्ती और सामान्य वस्तुए देखने में राजा की
बिलकुल भी रूचि नहीं थी, लेकिन संतश्री का मान रखने के लिए उपेक्षापूर्वक
जैसे तैसे देखते रहे.
राजा जैसे ही ‘ आटा पिसने की हाथ की आटा चक्की ‘ की विशेषता जब बढ़ चढ़ के
बताने लगे… तब राजा की अरुचि जवाब दे गई और राजा ने कह दिया की
ये चक्की घर घर में होती है और एक दो रूपये में आसानी से मिल भी जाती है.
इसमें इतनी क्या विशेषता है…?
संतश्री गंभीर हो गए…! राजा से बोले… राजन आपके रत्न भी तो पत्थर के है…!
किसी काम के तो नहीं है… उलटे अपनी रखवाली भी कराते है. जब की
ये चक्की जीवन भर उपकार करती है. अनेको का पेट भरते रहती है.
रत्नराशी से इसका महत्व कई ज्यादा है. राजा का विवेक जगा और
वे उपयोगिता और अनुउपयोगिता का अंतर समझने लगे.
मशहूर होना पर…. मगरूर मत बनना.
साधारण रहना…. कमज़ोर मत बनना.
Hindi Motivational Story – 2
पहाडो के बीच में एक छोटासा गाँव बसा है, बाहर में तेज बारिश हो रही थी….
इस तेज बारिश में भी उस गाँव की स्कूल के एक कमरे के अन्दर क्लास
चल रही है.
पढ़ाते पढ़ाते टीचर ने बच्चों से पूछा की… बताओ बच्चो अगर मै तुम्हे मै
100 रुपये देता हु तो तुम उस 100 रुपये से क्या खरीदोगे…?
या 100 रूपये का तुम क्या करोगे…?
कोई बच्चे ने कहा की मैं वीडियो गेम खरीदुंगा….!
कोई बच्चा कह रहा था की मै क्रिकेट का बेट खरीदुंगा…..!
कोई बच्ची ने अपने लिए सुंदर गुडिया खरीदने की बात कही.
तो किसी ने कहा की मैं बहुत सी चॉकलेट्स खरीदुंगी…..!
सभी बच्चो पे टीचर ने नजर घुमाई, इन सारे बच्चे – बच्चियों में
एक बच्चा कुछ सोच में डूबा हुवा था.
Hindi Motivational Story
टीचर का ध्यान जाते ही टीचर ने पूछा की – तुम क्या सोच रहे हो….. ?
तुम बताओ क्या खरीदोगे….?
बच्चा बोला – टीचर जी मेरी माँ की नजर बहोत कमजोर हो गई है.
जिससे मेरी माँ को थोड़ा कम दिखाई देता है. इसिलीये अगर मुझे
100 मिलते है तो मैं तुरंत बाजार से अपनी माँ के लिए एक
चश्मा खरीदूंगा.
बच्चे की बात सुनकर टीचर ने पूछा – तुम्हारी माँ के लिए चश्मा तो
तुम्हारे पापा भी खरीद सकते है, तुम्हें अपने लिए कुछ नहीं खरीदना…?
इस पर बच्चे ने जो जवाब दिया उससे टीचर की आँखे
नम हो गयी और गला भी भर आया.
बच्चे ने कहा – टीचर जी…. मेरे पिताजी अब इस दुनिया में नहीं है.
मेरी माँ दूसरों के कपड़े सिलकर मुझे पढ़ाती है. और मेरी माँ को
आँखों से कम दिखाई देने की वजह से वो ठीक से कपड़े भी
नहीं सिल पाती है. इसीलिए मैं मेरी माँ को एक चश्मा देना
चाहता हुँ. जिससे मैं अच्छे से पढ़ सकूँ.
बड़ा आदमी बन सकूँ, और माँ को सारे सुख दे सकूँ….!
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टीचर बोले… बेटा तेरी सोच ही तेरी कमाई है…!
ये 100 रूपये मेरे वादे के अनुसार और ये 100 रूपये
और उधार दे रहा हूँ. जीवन में जब कभी कमाओ तो
लौटा देना. और मेरा आशीर्वाद है…
तू इतना बड़ा आदमी बने कि तेरे सर पे हाथ फेरते वक्त
मैं धन्य हो जाऊं…!
20 वर्ष बाद……..
तेज आवाज के साथ जोरो से बारिश हो रही है, और अंदर क्लास चल रही है….!
अचानक स्कूल के आगे जिला के कलेक्टर की लाल बत्ती वाली गाड़ी आकर रूकती है.
स्कूल का स्टाफ चौकन्ना हो जाता हैं…! साथ ही साथ पुरे स्कूल में सन्नाटा छा जाता हैं…!
मगर ये क्या…..?
कलेक्टर साहब एक वृद्ध टीचर के पैरों में गिर जाते हैं…. और कहते हैं….!
सर मैं……. उधार के 100 रूपये लौटाने आया हूँ….! पूरा स्कूल का स्टॉफ
स्तब्ध हो जाता है…!
वृद्ध टीचर झुके हुए नौजवान कलेक्टर को उठाकर भुजाओं में कस लेता है…
और रो पड़ता हैं…!
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दोस्तों….
मशहूर होना… पर मगरूर मत बनना.
साधारण रहना… कमज़ोर मत बनना.
वक़्त बदलते देर नहीं लगती…
शहंशाह को फ़कीर… और
फ़क़ीर को शहंशाह बनते… देर नही लगती …