Hindi Story | हिंदी प्रेरणादायक कहानी | जीवन की परीक्षा

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Hindi Story | हिंदी प्रेरणादायक कहानी
जीवन की परीक्षा

एक माँ ने लाचार होकर घर से बाहर जा रहे अपने बेटे को समझाने के लिये कहा….
बेटा…! थोड़ा तो खाना खाकर घर के बाहर निकल… पिछले दो दिन से तुने कुछ भी
नहीं खाया है.

माँ आपको भी तो पता है की… मैंने अपनी बारहवीं बोर्ड की परीक्षा के बाद की
छुट्टीयों में एक पुरानी बाइक मांगी थी…! और पिताजी ने वादा भी किया था…

आज मेरा बोर्ड का अंतिम पेपर है…. बहन को बता देना की… मै जैसे ही परीक्षा हॉल
से बाहर निकलूंगा… वैसे ही बहन पैसा लेकर बाहर खडी रहे. मेरे एक मित्र की
पुरानी बाइक मुझे आज ही खरीदनी है. और हाँ… अगर बहन वहाँ पैसे लेकर
नहीं पहुंची तो… मैं इस घर में वापस नहीं आऊंगा…!

एक गरीब घर में… माँ की लाचारी और अरविंद बेटे की जिद्द आमने सामने
टकरा रही थी.

बेटे… तेरे पिताजी तुझे बाइक लेकर ही देने ही वाले थे, लेकिन तेरे पिताजी की
जो पिछले महीने में दुर्घटना हुईं थी…. माँ और कुछ बोले… उससे पहले ही
अरविंद बोला… माँ.. मैं ये सब कुछ नहीं जानता…
मुझे तो बाइक चाहिये मतलब चाहिये… बस्स….!
ऐसा बोलकर अरविंद अपनी माँ को गरीबी और लाचारी के बिच में छोड़ कर
घर से बाहर निकल गया.

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जीवन की परीक्षा

12 वीं कक्षा के बोर्ड की परीक्षा के बाद कटरे सर एक अनोखी परीक्षा का
आयोजन करते थे. वैसे तो कटरे सर, गणित विषय पढ़ाते थे… परंतु छात्रों को
जिंदगी का गणित भी सिखाते थे और उनके सभी छात्र विविधता से भरे
इस परीक्षा को अवश्य देने जाते थे.

इस वर्ष के परीक्षा का विषय था, पारिवार में मेरी भूमिका क्या है…?

अरविंद परीक्षा हॉल में आकर बैठ गया… उसने मन में पक्का विचार कर
लिया था की.. अगर आज मुझे बाइक नहीं मिली तो… मैं घर जाऊंगा ही नहीं.

कटरे सर के क्लास में बैठे, सभी छात्रों को पेपर दे दिया गया… सर ने पेपर में
10 प्रश्न रखे थे. और उत्तर देने के लिये एक साठ मिनट का समय दिया गया था.

अरविंद ने पाहिले प्रश्न को पढा और उत्तर लिखना शुरू किया….

पहिला प्रश्न :- तुम्हारे घर में, तुम्हारे पिताजी… माताजी… बहन… तुम्हारा भाई….
और तुम कितने घंटे काम करते हो…? विस्तार से बताइये…? अरविंद ने जल्दी से
उत्तर लिखना शुरू कर दिया…

जवाब : पिताजी प्रतिदिन सुबह छह बजे, अपना टिफिन लेकर, अपनी ऑटो रिक्शा से
निकल जाते हैं. और लगभग रात को नौ बजे के आसपास लौट आते हैं. ऐसे हिसाब से
पिताजी प्रतिदिन लगभग पंद्रह घंटे काम करते है.

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माँ सुबह के चार बजे उठकर पिताजी के लिए टिफिन तैयार करती है… उसके बाद में…
घर का पूरा काम करती हैं. सभी काम पुरे होने पर… घर पर ही सिलाई का काम करती है.
और सभी लोगों के सो जाने के बाद ही माँ सोती हैं. ऐसे लगभग प्रतिदिन माँ सोलह घंटे काम
करती है.

बहन सुबह कालेज में जाती हैं…. शाम को ४ बजे से ८ बजे तक पार्ट टाइम जॉब करती हैं.
और रात में माँ को काम में हाथ बटाती हैं. बहन भी लगभग बारह से तेरह घंटे काम करती हैं.

मैं… सुबह छह बजे सोकर उठता हूँ… फ्रेश होकर स्कुल जाता हूं, और दोपहर में स्कूल से
आने पर, खाना खता हूं… बाद में सो जाता हूँ. शाम को अपने दोस्तों के साथ घुमने जाता हूँ….
वापस आकर, रात में ग्यारह बजे तक पढाई करता हूँ. मेरे लगभग दस घंटे होते है…

( इस प्रश्न का उत्तर लिखने के बाद अरविंद कों मन में लगा कि…. उसका कामकाज का
औसत सबसे काफी कम है. )

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पहले प्रश्न के उत्तर के बाद अरविंद ने दूसरा प्रश्न पढना सुरु किया…

दूसरा प्रश्न :- आपके घर की एक महीने की कुल आय कितनी है…?
उत्तर : पिताजी की आय लगभग दस हजार रुपये हैं. माँ और बहन की मिलाकर
पांच हजार पकड़ते है… तो घर की कुल आय पंद्रह हजार रूपये…

तीसरा प्रश्न :- आप अपने मोबाइल में कितने रूपये का रिचार्ज करते है…?
टीवी पर आनेवाली, आपकी पसंदीदा तीन धरावाहिक के नाम बताएं…..
और आपके शहर के एक सिनेमा हॉल का पता और वर्तामान में..
वहां चल रही फिल्म का नाम बताइये….?
सभी प्रश्नों के उत्तर सरल होने से फटाफट दो मिनट में अरविंद ने लिख दिये…

चौथा प्रश्न :- एक किलो प्याज और गोभी की अभी के हाल में क्या कीमत है…?
एक किलो गेहूं… चावल और तेल कीभी कीमत बताइये…? और आप जहाँ से
घर अपने घर के लिए गेहूं पिस के लाते हो उस आटा चक्की का नाम और
पता लिखें.

अरविंद साहब को इस सवाल का उत्तर नहीं आया… उसे समझ में आया कि हमारी
रोज की जरूरी आवश्यकताओं की वस्तुओं के बारे में तो उसे नाममात्र भी मालूमात
नहीं है.

माँ जब भी अरविंद कोई काम बताती थी तो… वह इंकार कर देता था.
आज उसे पता चला कि अनावश्यक वस्तुयें…. मोबाइल रिचार्ज…. फिल्म की
जानकारी, इतनी उपयोगी नहीं है…
अपने घर के काम की जवाबदेही लेने से या तो हाथ बढाकर कर साथ देने से
हम कतराते रहे हैं.

पांचवा प्रश्न :- आप अपने घर में बने भोजन को लेकर कभी दोष या क्रोध करते हो…?
उत्तर : हां…! मुझे आलू के सिवाय दूसरी कोई भी सब्जी पसंद नहीं है. अगर माँ दूसरी
कोई भी सब्जी बनाती है तो… मेरे घर में विवाद हो ही जाता है…! कभी – कभी तो
मैं खाना खायें बिना ही उठ कर चला जाता हूँ…

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( इतना लिखते लिखते अरविंद को याद आ गया कि… आलू की सब्जी को खाने से
माँ को गैस की शिकायत हो जाती हैं… और माँ के पेट में दर्द सुरु हो होता है.

माँ अपने सब्जी में एक चम्मच अजवाइन डालकर खाती हैं. एक दिन मैंने भूल से
माँ की सब्जी खा ली थी… और तुरंत ही मैंने थूक दिया था. और फिर मैंने
माँ से पूछा कि…. ऐसा क्यों खाती हो….? तब बहन ने बताया था कि हमारे घर के
हालात इतने अच्छे नहीं है कि हम एक समय में दो तरह सब्जी बनाकर खा सके…
तुम्हारे हठ के कारण बेचारी माँ क्या करें…? )
अपनी यादों से बाहर आकर अरविंद ने अगले प्रश्न को पढा…

छठवा प्रश्न :- आपने अपने घर में किये हुए आखरी हठ के बारे में लिखिये…
अरविंद ने उत्तर लिखना शुरू किया…. मेरी बोर्ड की परीक्षा पूर्ण होने के बाद
दूसरे ही दिन बाइक के लिये हठ किया था. पिताजी ने कोई उत्तर नहीं दिया था…
माँ ने समझाया था कि… घर में पैसे नहीं है… परंतु मैं नहीं माना…! मैंने पिछले
दो दिनों से घर में खाना भी नहीं खाया है. बाइक जब तक नहीं लेकर दोगे…
तबतक मैं खाना नहीं खाऊंगा… और आज तो मैं घर वापस नहीं जाऊंगा….
ये बोलकर निकला हूँ.
अरविंद ने अपने हठ का इमानदारी से उत्तर लिखा.

सातवा प्रश्न :- आपको अपने घर से मिलनेवाले जेबखर्च का आप क्या करते हो…?
आपके भाई- बहन उसे कैसे खर्च करते हैं…?
उत्तर : हर महीने मुझे पिताजी सौ रुपये देते हैं… उसमें से मैं… मनपसंद पर्फ्यूम…
और चश्मे खरीद लेता हूं… या फिर अपने मित्रों कों छोटीमोटी पार्टि देकर पैसा
खर्च कर देता हु.

मेरी बहन को भी पिताजी सौ रुपये देते हैं. वो स्वयं कमाती हैं और पगार के पैसे से
माँ को आर्थिक मदद करती हैं. पिताजी ने दिए हुए जेबखर्च के पैसो कों…
बहन गल्ले में डालकर जमा करती हैं. उसे कोई शौक नहीं है,
क्योंकि वो बहुत ही मख्खीचूस भी हैं.

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जीवन की परीक्षा

आठवा प्रश्न :- आप अपनी स्वयं की पारिवारिक भूमिका को कितना समझते हो…?
प्रश्न थोडा निराला और कठिन होने के बाद भी अरविंद ने उत्तर लिखना सुरु किया…
अपने परिवार के साथ जुड़े रहना चाहिए…. एकदूसरे के प्रति समझदारी से व्यवहार
करना चाहिए…. और हमेशा मददरूप होना चाहिये इस प्रकार अपनी जवाबदेही
निभानी चाहिये.

अरविंद को यह उत्तर लिखते लिखते ही उसके अंतरात्मासे आवाज आयी कि…
अरे अरविन्द…! तुम स्वयं अपनी पारिवारिक भूमिका को योग्य रूप से निभा
रहे हो…? और अंतरात्मा से उत्तर आया कि ना बिल्कुल भी नहीं…!

नववा प्रश्न :- आपके परिणाम से आपके माता-पिता समाधानी हैं…? क्या वह
अच्छे परिणाम के लिये आपसे हठ करते हैं…? आपको हमेशा डांटते रहते हैं…?
( इस प्रश्न का उत्तर लिखने से पहले ही अरविंद की आंखें भर आयी….
अब वह परिवार के प्रति अपनी भूमिका बराबर समझ चुका था. )

अरविंद ने लिखना प्रारंभ किया….. वैसे तो मैंने आज तक कभी भी मेरे माँ-पिताजी
को संतोषजनक परिणाम नहीं दे पाया हूँ… और इसके लिये मेरे माँ – पिताजी ने
कभी भी हठ नहीं किया है.

मैंने बहुत बार अच्छे परिणाम लाने का वचन दिया लेकिन ला ना सका…
फिर भी मेरी माँ और पिताजी की हल्की सी डांट के बाद वही प्रेम और
वात्सल्य बना रहता था.

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दसवा प्रश्न :- पारिवारिक ज़िन्दगी में असरकारक भूमिका निभाने के लिये
इस छुट्टी में आप कैसे परिवार को सहायक होंगें…?
उत्तर में अरविंद की पेन चले इससे पहले उसकी आंखों से आंसू बहने लगे,
और उत्तर लिखने से पहले ही पेन रुक गई… बेंच के निचे मुंह रखकर रोने लगा…
फिर से पेन उठायी तब भी वो कुछ भी ना लिख पाया….
दसवां प्रश्न कोरा ही छोड़कर पेपर जमा कर दिया….

स्कूल के दरवाजे पर बहन को देखकर उसकी ओर दौड़ पडा…
भैया…! ये ले दस हजार रुपये… माँ ने कहा है कि बाइक लेकर ही घर आना…!

बहन ने अरविंद के सामने पैसे रख दिये. कहाँ से ले लेकर आये ये पैसे…?
अरविंद ने पूछा… बहन ने बताया… मैंने मेरी ऑफिस से एक महीने की पगार
उधार मांग ली…

माँ ने भी जहां काम करती हैं वहीं से उधार ले लिया….
और मेरे जेबखर्च की बचत से निकाल लिये…
ऐसा करके तुम्हारी बाइक के पैसे की व्यवस्था हो गई हैं…!

अरविंद की नजर पैसे पर स्थिर हो गई…. बहन फिर बोली… भैया….
तुम माँ को बोलकर निकले थे कि पैसे नहीं दोगी तो….
मैं घर पर नहीं आऊंगा…! तुम्हें भी अब समझ आनी चाहिये कि…
कुछ तुम्हारी भी इस घर के प्रति जवाबदेही है.

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मुझे भी बहुत से शौक हैं, लेकिन अपने शौक से ज्यादा मै अपने परिवार को,
सबसे ज्यादा महत्व देती हूं. तुम हमारे परिवार के सबसे लाडले हो….

पिताजी को पैर की परेशानी हैं…. फिर भी तेरी बाइक के लिये पैसे कमाने
और तुम्हें दिये हुए वादे को पूरा करने के लिए… अपने फ्रेक्चर वाले पैर से
काम किये जा रहे हैं… सिर्फ तेरी बाइक के लिये…. यदि तुम समझ सको
तो अच्छा है….

पिताजी कल रात को अपने वादे को पूरा नहीं कर सकने के कारण बहुत दुःखी थे.
और इसके पीछे उनकी मजबूरी है. बाकी तुमने तो अनेकों बार अपने वादे
तोडे ही है ना…? भाई हाथ में पैसे थमाकर बहन घर की ओर चल निकली…

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उसी समय अरविंद का मित्र वहां अपनी बाइक लेकर आ गया, अच्छे से
चमका कर ले आया था… ले अरविंद…. आज से ये बाइक तुम्हारी हुई….
सभी बारह हजार में मांग रहे हैं… लेकिन ये तुम्हारे लिये दस हजार रूपयें में…

अरविंद बाइक की तरफ टुकुर – टुकुर देख रहा था… और थोड़े समय के बाद बोला…
मित्र…! उस बारह हजार वाले को ही तुम अपनी ये वाली बाइक दे देना…!
मेरे पास पैसे की व्यवस्था नहीं हो पा रही हैं और अब आगे होने की भी
संभावना नहीं है…! ऐसा बोलकर वो सीधा कटरे सर के कमरे में जा पहूंचा…

अरे अरविंद…! कैसा लिखा है पेपर में…? कटरे सर ने अरविंद की तरफ देख कर पूछा…
सर…! यह कोई पेपर नहीं था… ये तो मेरे जीवन के लिये मार्गदर्शक था…
मैंने एक प्रश्न का जवाब छोड़ दिया है… लेकिन ये उत्तर लिखकर नहीं अपने जीवन की
जिम्मेदारी निभाकर रहूँगा… और कटरे सर को चरणस्पर्श कर अपने घर की
ओर निकल पडा.

घर पर पहुंचते ही… माँ… पिताजी…और बहन सब उसकी राह देखते हुए खडे थे….
बेटा… अरविंद….! बाइक कहाँ हैं….? मम्मी ने पूछा,
अरविंद ने बहन के में पैसे दे दिए और कहा कि माफ़ करना… अब मुझे बाइक नहीं चाहिये..
और पिताजी… आप मुझे ऑटो की चाभी दे दीजिये…. आज से मैं अपनी पूरी छुटियाँ समाप्त
होने तक प्रतिदिन ऑटो चलाऊंगा और आप अब कुछ दिन आराम कीजिएगा…. और माँ
आज से मेरी पहली कमाई शुरू हो जाएगीं….. इसलिये तुम अपने पसंद की मैथी की भाजी
और हरे वाले बैगन ले आना… हम सब साथ मिलकर के रात को भोजन करेंगे…

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अरविंद के स्वभाव में आये हुए इस बदलाव को देखकर माँ ने उसको गले से लगा लिया
और कहा कि बेटा…! सुबह जो तुम कहकर गये थे… वही बात मैंने तुम्हारे पिताजी को
बतायी थी… और इसलिये वो दुःखी हो गये थे… ऑटो ले कर वापस घर पर ही आ
गये थे… मुझे भले ही पेट में दर्द होता हो लेकिन…. आज तो मैं तेरी पसंदीदा ही
सब्जी बनाऊंगी…!

अरविंद ने कहा… नहीं माँ…. अब मेरे समझ में आ गया हूँ कि मेरे घरपरिवार में मेरी
भूमिका क्या है….? मैं रात को बैंगन और मैथी की सब्जी ही खाऊंगा…. परीक्षा में मैंने
अंतिम उत्तर नहीं लिखा हैं….. वह वास्तविक करके ही दिखाना है…. और हाँ माँ….
हम गेहूं को पिसाने के लिए कहाँ जाते हैं…. उस आटा चक्की का नाम और पता भी
मुझे दे दो…..और उसी समय कटरे सर ने घर में प्रवेश
किया…. और बोले वाह….! अरविंद… जो उत्तर तुमनें लिखकर नहीं दिये वो…
वास्तविक जिंदगी जीकर कर दोगे..

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सर…! आप और यहाँ….? अरविंद…. कटरे सर को देख कर आश्चर्यचकित हो गया…
मुझसे बात करके तुम चले गये… उसके बाद मैंने तुम्हारे पेपर को पढ़ा…
और तुम्हारे घर की तरफ निकल पडा… मैं काफी समय से तुम्हारे भीतर
आये हुए बदलाव को सुन रहा था…

मेरी यह अनोखी परीक्षा सफल रही और इस परीक्षा में तुम प्रथम आये हो…
ऐसा बोलकर कटरे सर ने अरविंद के सर पर हाथ रखा…
अरविंद ने तुरंत ही कटरे सर के पैर छुएँ और ऑटो रिक्शा चलाने के लिये
निकल पडा….

मेरा सभी सम्माननीय अभिभावकों से आग्रह है कि आप इस पोस्ट को जरूर पढ़िए गा
और अपने बच्चों को भी पढ़ने का अवसर दें.

इससे अच्छी पोस्ट मैंने अपनी जिंदगी में आज तक नहीं पढ़ी… प्रैक्टिकल जीवन में तो
मैंने अनुभव किया है लेकिन सभी लोगों को किस प्रकार से अनुभव कराया जाए
इसके लिए मेरा आपसे आग्रह है कि आप स्वयं और अपने बच्चों को इस पोस्ट को
जरूर करने का अवसर प्रदान करें.
धन्यवाद

Best Motivational Story | सोच बदलो जीवन बदलेगा | Sunder Vichar

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