Hindi Story | हिंदी प्रेरणादायक कहानी | मुश्किल को थोडा हराते है | sunder Vichar
एक दिन रुपाली सुबह-सुबह अपने मायके में आ जाती है. घर आते ही पिताजी को पूछती
है… लेकिन उसके आने के १० मिनिट पहले उसके पिताजी घर से बहार जा चुके होते है.
यह जानते ही रुपाली किसी से कोई भी बात करे बगैर पिताजी के कमरे में चली जाती है.
सारा दिन कमरे से बहार नहीं निकलती.
शाम को उसके पिताजी घर आते है. लड़की के आने से तो बहोत खुश होते है लेकिन…
बेटी का उदास चेहरा देखकर दुखी हो जाते है.
सुबह पिताजी रुपाली के कमरे में अपने हाथ से बनी हुई चाय लेकर जाते है.
रुपाली को पिताजी के हाथ की चाय बहोत पसंद है. चाय पिते पिते पिताजी अपने
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बेटी से इधर उधर की बाते करते है. और धीरे से उदासी की वजह पूछते है.
रुपाली अपने पिताजी को अपना दुख बताते हुवे अपने जीवन को बहोत कोसती है.
और कहती है….. पिताजी मेरा जीवन बहुत ही मुश्किल दौर से गुजर रहा है.
जीवन में एक दुख जाता है तो दूसरा आ जाता है. और इन मुश्किलों से लड़ लड़ कर
अब थक चुकी हूँ. पिताजी.क्या करू कुछ भी समज में नहीं आ रहा है.
ये बोलते हुवे अपने पिताजी से लिपट जाती है.
बेटी के इन शब्दों को सुनने के बाद वह अपनी बेटी को रसोईघर में ले जाते है.
रसोई में तीन अलग अलग कढाई में पानी डाल कर तेज आग पर रख देते है.
जैसे ही पानी गरम हो कर उबलने लगा… पिताजी नें एक कढाई में एक आलू डाला
दुसरे में एक अंडा और तीसरी कड़ाई में कुछ कॉफ़ी बीन्स डाल दिए.
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रुपाली बिना कोई प्रश्न किये अपने पिताजी के इस काम को ध्यान से देख रही थी.
कुछ 15-20 मिनट के बाद उन्होंने गैस को बंद कर दिया और एक कटोरे में
आलू को रखा दुसरे में अंडे को. और कॉफी बीन्स वाले पानी को कप में.
पिताजी ने रुपाली की तरफ उन तीनों कटोरों को एक साथ
दिखाते हुए बेटी से कहा कि पास से देखो इन तीनों चीजों को.
रुपाली ने आलू को देखा. जो उबलने के कारण मुलायम हो गया था. उसके बाद
अंडे को देखा जो उबलने के बाद अन्दर से थोड़ा कठोर हो गया था.
और आखरी में जब कॉफ़ी बीन्स को देखा… तो उस पानी से बहुत ही अच्छी खुशबु
आ रही थी.
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पिताजी ने बेटी से पुछा….? क्या तुमको पता चला इसका मतलब क्या है….?
तब उसके पिताजी ने समझाते हुए कहा इन तीनों चीजों ने जो मुश्किल झेली
वह एक समान थी. लेकिन तीनों के रिएक्शन अलग अलग हैं.
हमारी जिंदगी भी ऐसी ही है कष्ट और मुसीबतें हम सबको आती हैं.
लेकिन इन दुखों और कष्टों को सहने का रिएक्शन हम सबका अलग अलग होता है.
कोई दुःख और तकलीफ देखकर इतना हताश और मायूस होकर
इस उबले आलू की तरह नरम हो जाता है.
और अपने दुःखों और मुसीबतों का ढिंढोरा पीटना शुरू कर देता है.
दूसरे वो होते हैं जो दुःख और मुसीबतों को भले ही किसी को नहीं बतायें..
लेकिन अंदर से इतने टूट जाते है जैसे उबले अंडे का हाल होता है.
और तीसरे वो होते हैं….! जो दुखों और मुसीबतों से ना तो बाहर से घबराते हैं
और ना ही अंदर से टूट कर उदास होते हैं.
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बल्कि ऐसे लोग दुखों और मुसीबतों को भगवान की मौज समझ कर
बड़ी ख़ुशी से स्वीकार करते हैं. और ऐसे लोग भगवान से अपने
दुःख की शिकायत नहीं करते बल्कि इन्हें सहने की शक्ति मांगते है.
और ऐसे लोग ही दुःख और मुसीबतों में मुस्कुरा कर दूसरों के लिए
सबक और मिसाल बन कर कॉफी बीन्स की तरह खुशबू फैलाते रहते हैं.
इस कहानी से सीख लेते हुए हमें भी दुख और मुसीबत में अपने
आराध्य को कोसना नहीं चाहिए. बल्कि उस की ख़ुशी में खुश रह कर
दुख की घड़ी में भी मुस्करा कर उस का सामना करना चाहिए.
और हर पल अपने आराध्य का धन्यवाद् करना चाहिए.
मुश्किल को थोडा हराते है.
चलो थोडा मुस्कुराते है.
[…] […]