Hindi Story – Sunder Vichar
हिंदी कहानी | प्रेम की पराकाष्ठा
एक जगह काफी दिनों से आने जाने वाले लोगों को कुछ समाजसेवी लोग खाना बाँट रहे थे…
आश्चर्यजनक बात ये थी की, वहां प्रतिदिन एक कुत्ता आता था और किसी ना किसी के हाथ
के खाने के पैकेट पर झपटी मारकर खाना ले जाता था. वो समाजसेवी लोग भी परेशांन थे की,
किसी दिन ये कुत्ता किसी को काट ना ले…
इसिलिये उन्होने एक आदमी को आज वहीं खड़ा कर दिया की, कुत्ता खाने पर झपटने के
चक्कर में उसके दात किसी को चुभ ना जाये…
लगभग बारह बजे का समय हो रहा था और वे लोग अपना खाना बाँटना शुरू कर चुके थे…
उसी वक्त वह कुत्ता वहां तेजी से आया और एक आदमी के हाथ की खाने की थैली छिनकर
भाग गया… आज जिसे उस कुत्ते को भगाने के लिए रखा था, वह लाठी लेकर उसके पीछें भागा.
कुत्ता भागते भागते एक झोपडी के अंदर चला गया… वह आदमी भी कुत्ते का पीछा करते करते
वहीं आ गया… तब तक कुत्ता खाने का पैकेट उस झोंपड़ी में रखकर बाहरआ चुका था…!
Hindi Story – Sunder Vichar
हिंदी कहानी | प्रेम की पराकाष्ठा
उस आदमी को बड़ा आश्चर्य हुवा… उसने झोंपड़ी कें अंदर जा कर देखा तो… गंदे कपडे पहने
हुए एक आदमी अंदर सोया है… उसके चेहरे पर बड़ी सी दाढ़ी है और वह एक पैर से पूरी तरह
अपंग भी नहीं है.
“ओ भाई साहब…! ये कुत्ता आपका है क्या…?”
“मेरा कोई कुत्ता नहीं है… शेरू तो मेरा बेटा है…
कृपया उसे कुत्ता मत कहो।” अपंग आदमी बोला…
इसपर वह आदमी बोला “अरे भाई…! यह कुत्ता हर दिन खाना छीनकर भागता है…
किसी को काट लिया या झपटते हुए इसका दात चुभ गया तो, ऐसे में कहाँ डॉक्टर मिलेगा…
कृपया आप इसे बांध के रखा करे. रही खाने की बात तो, आपकी हालत मुझसे नहीं देखी
जा रही है… मै ज्यादा कुछ तो नहीं कर सकता लेकिन… कल से प्रतिदिन आपके लिए मै
खाना लाऊंगा.
अपंग आदमी :- भाई बात खाने की नहीं है… और मैं उसे मना नहीं कर पाउँगा…!
वह भले ही मेरी भाषा को ना समझता हो, लेकिन मेरी भूख को समझता है…!
जब मैं घर छोड़ के आया था तब से यही मेरे साथ है…! मैं नहीं कह सकता कि मैंने उसे पाला है
या उसने मुझे पाला है…! लेकिन मेरे तो बेटे से भी बढ़कर है.
मैं तो फूटपाथ पर छोटी मोटी कोई भी वस्तु बेचकर अपना गुजारा करता हूँ…
लेकिन अभी सब बंद है…!
वह आदमी एकदम शांत हो गया…
उसे ये संबंध समझ ही नहीं आ रहा था…
फिर उस अपंग आदमी ने खाने का पैकेट खोला और आवाज लगाई, ” शेरू….
ओ बेटा शेरू… चल आ जा खाना खा ले…
कुत्ता दौड़ता हुआ अंदर आया और उस अपंग आदमी का मुँह चाटने लगा…
कुत्ते ने खाने को सूंघा भी नहीं… फिर उस आदमी ने खाने की थैली खोली
और पहले शेरू का हिस्सा निकाला, फिर अपने लिए खाना रख लिया
खाओ बेटा…! अपंग आदमी ने कुत्ते से कहा… लेकिन कुत्ता उस आदमी को ही देखता रहा…
तब वह अपने वाले हिस्से से खाना खाने लगा.. उसे खाते हुये देखकर कुत्ते ने भी खाना शुरू
कर दिया. दोनों खाने में व्यस्त हो गए. उस आदमी के हाथ से लाठी छूटकर नीचे गिर गई.
जब तक दोनों ने खा नहीं लिया तब तक वह उन्हें अपलक देखता रहा…!
भाई साहब…! आप भले बहुत गरीब हों , अपंग हों, मजबूर हो… लेकिन आपके जैसा बेटा
किसी के पास नहीं होगा… उसने जेब से पैसे निकाले और उस भिखारी के हाथ में रख दिये….
रहने दो भाई… किसी और को ज्यादा जरूरत होगी इनकी….
मुझे तो शेरू ला ही देता है… मेरे बेटे के रहते मुझे कोई चिंता नहीं हैं…
वह लड़काअचंभित था कि आज आदमी, आदमी से छीनने को बेचैनी है…
और ये कुत्ता… बिना अपने मालिक के खाये…. खाना भी नहीं खाता है.
उसने अपने सिर को ज़ोर से झटका और वापिस चला आया… अब उसके हाथ में कोई
लाठी नहीं थी.
प्रेम पर कोई वार कर भी कैसे सकता है…. और ये तो प्रेम की पराकाष्ठा थी.
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