Sunder Vichar | कृष्ण भी मैं ही हूँ… और कंस भी मैं ही हूँ…

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Sunder Vichar | कृष्ण भी मैं ही हूँ... और कंस भी मैं ही हूँ...
Sunder Vichar | कृष्ण भी मैं ही हूँ... और कंस भी मैं ही हूँ...

Sunder Vichar
कृष्ण भी मैं ही हूँ… और
कंस भी मैं ही हूँ…

प्रभु… आप मुझे तैरने दो…
या फिर बहना सिखा दो…!
अपनी परिस्थितियों में अब तुम रहना सिखा दो….
मुझे शिकायत ना हो कभी भी किसी से..
मुझे सुःख और दुःख के पार जीना सिखा दो…!

Sunder Vichar | कृष्ण भी मैं ही हूँ… और कंस भी मैं ही हूँ…

एक बहुत प्रसिद्ध चित्रकार था… जो बहुत ही अद्धभुत चित्र बनाता था.
लोग उसकी चित्रकारी की बहुत स्तुति करते थे.

एक दिन भगवान श्री कृष्ण मंदिर के कुछ भक्तों ने उनसे
भगवान श्री कृष्ण और कंस का एक चित्र बनाने की इच्छा
जाहिर की.

चित्रकार इसके लिये खुशी खुशी तैयार हो गया… क्योंकि ये
भगवान का काम था. लेकिन चित्रकार ने कुछ शर्ते रखी.
चित्रकार ने कहा की मुझे भगवन का चित्र बनाने
के लिए सुंदर चहरे वाला बालक चाहिए और कंस के लिए
क्रूर चहरेवाला व्यक्ति… अगर ये मिल जाए तो मुझे चित्र बनाने में
बहुत आसानी होगी.

भगवान श्री कृष्ण मंदिर के भक्तों ने एक सुंदर बालक ले आये…
चित्रकार ने उसे पसंद किया और उस बालक को सामने रखकर
बालकृष्ण का एक सुंदर चित्र बनाया.

अब बारी कंस की थी परंतु क्रूर भाव वाले व्यक्ति को ढूंढना थोडा
मुश्किल हो रहा था. जो व्यक्ति कृष्ण मंदिर वालो को पसंद आता वो
चित्रकार को पसंद नहीं आता उसे वो भाव मिल नहीं रहे थे…

समय बितता गया… आखिरकार थक – हार कर कुछ सालों बाद
वो अब जेल में चित्रकार को ले गए… जहाँ उम्रकैद की सजा काट रहे
अपराधी थे.

Sunder Vichar | कृष्ण भी मैं ही हूँ… और कंस भी मैं ही हूँ…

उन अपराधीयों में से एक को चित्रकार ने पसंद किया और उसे सामने
रखकर उसने कंस का एक चित्र बनाया. कृष्ण और कंस की वो तस्वीर
आज सालों के बाद पूर्ण हुई.
कृष्ण मंदिर के भक्त वो तस्वीरे देखकर मंत्रमुग्ध हो गए.

उस अपराधी ने भी वह तस्वीरे देखने की इच्छा व्यक्त की.
उस अपराधी ने जब वो तस्वीरे देखी तो वो फुट-फुटकर रोने लगा.
सभी ये देख आश्चर्यचकित हो गए…

चित्रकार ने उससे इसका कारण बड़े प्यार से पूछा…
तब वह अपराधी बोला… चित्रकार जी शायद आपने मुझे
पहचाना नहीं…!
मैं वो ही लड़का हुँ… जिसे वर्षोँ पहले आपने बालकृष्ण के चित्र के लिए
पसंद किया था. मै अपने कुकर्मो से आज कंस बन गया हूँ…
इस तस्वीर में…

कृष्ण भी मैं ही हूँ… और कंस भी मैं ही हूँ…

हमारे कर्म ही हमे अच्छा और बुरा इंसान बनाते है.

राधेकृष्ण राधेकृष्ण कृष्ण कृष्ण राधे राधे ।
राधेश्याम राधेश्याम श्याम श्याम राधे राधे ।।

हमारा अनुमान गलत हो सकता हे…
परंतु अनुभव कभी भी गलत नहीं हो
सकता… क्योंकि….
अनुमान हमारे मन की कल्पना है….
और अनुभव हमारे ज़िन्दगी की सीख है.

हम जब अपनी इच्छाओ को कम कर देंगे…
तभी… हम सभी की नज़रो में अच्छा बन पाएंगे…
इच्छा कभी भी आपको अच्छा बनने नही देगी.

जीवन में रिश्ते निभाते समय परख नहीं…
भरोसा करिए… क्योंकि… परख मन को
विचलित करती है… और भरोसा हमेशा
आनंद प्रदान करता है.

मोबाइल का उपयोग कॉल करने के लिए…
फोटो लेने के लिए… सेल्फी लेने के लिए…
और गेम खेलने के साथ – साथ अपनी सोई हुई
संस्कृति को जगाने के लिए भी कीजिए.

जो एक दोष भी माफ ना करें…
वह है… न्यायाधीश और
जिसकी शरण में जाने से
शेकडो दोष भी माफ हो जाते है…
वह है द्वारकाधिस

!! जय श्रीकृष्ण !!

आज का सुविचार – Good Thoughts In Hindi – Sundr Vichar

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अच्छी किताबें और अच्छे लोग…
जल्दी समझ में नहीं आते…
उन्हें पढ़ना पड़ता है.

आज का सुविचार - Good Thoughts In Hindi - Sundr Vichar
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इंसान बहुत खुदगर्ज है…!
जब आपको पंसद करता है…
तो आपकी बुराई भूल जाता है…!
और जब आपसे नफरत करता है…
तो आपकी अच्छाई भूल जाता है…

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अपने उस चहरे को तो इंसान
बहुत सजाता है जिस पर…
लोगों की नज़र होती है.
लेकिन आत्मा को सजाने की
कोशिश कोई नही करता…
जिस पर परमात्मा की नजर होती हैं.

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महानता इस बात में नही है की…
इंसान कभी ना गिरे…
गिरना तो इंसान की नियति है.
महानता तो गिर कर उठने में
और आगे बढ़ जाने में है.

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जिंदगी में कभी किसी बुरे दिन से
रुबरु हो जाओ तो…
इतना हौंसला जरूर रखना की…
केवल दिन ही बुरा हैं…
जिंदगी नहीं…!

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