बहुत खूबसूरत है ज़िंदगी…
इसे सोचना बंद…
और जीना शुरू कर दीजिए…!
Sunder Vichar Hindi | कुछ न कुछ छूटना तो अनिवार्य है | Suvichar
आज अचानक से यूँ ही विचार आया कि…
समाचार पत्र पढ़ा तो प्राणायाम छूट गया.
प्राणायाम किया तो समाचार पत्र छूट गया.
दोनों ही किया तो सुबह का नाश्ता छूट गया.
और सभी को जल्दी जल्दी से निबटाया
तो आनंद छूट गया.
मतलब साफ़ है की…
कुछ ना कुछ छूटना तो अनिवार्य है…!
स्वास्थवर्धक खाया तो स्वाद छूट गया.
स्वाद का खाया तो स्वास्थ छूट गया.
और दोनों किया तो…
अब इस झंझट में कौन पड़े…!
प्यार किया तो शादी टूट गयी.
शादी की तो प्यार छुट गया.
और दोनों किया तो विश्वास छूट गया.
अब इस झंझट में कौन पड़े…!
मतलब…
कुछ ना कुछ छूटना तो अनिवार्य है…!
अगर जल्दबाजी की तो सामान छूट गया.
अगर नहीं की तो ट्रेन छूट गयी.
अगर दोनों हिं ना छूटे तो…!
विदाई के वक़्त गले मिलना छूट गया.
मतलब…
कुछ ना कुछ छूटना तो अनिवार्य है…!
औरों का सोचा तो अपने मन का छूट गया.
अपने मन का लिखा तो भ्रम टूट गया.
खैर हमें क्या…
प्रसन्न हुए तो हँसाई छूट गयी.
दुःखी हुए तो रुलायी छूट गयी.
मतलब…
कुछ ना कुछ छूटना तो अनिवार्य है…!
इस छूटने में ही तो पाने की खुशी है.
जिसका कुछ नहीं छूटा…
वो इंसान नहीं मशीन है…! इसलिये…
कुछ ना कुछ छूटना तो अनिवार्य है…!
जी लिजीये जी भर कर…. क्योकि…
एक दिन ये जिंदगी छुटना भी अनिवार्य हैँ.
मुस्कुराहट भी एक प्रार्थना है…!
दिया किजिए… लिया किजिए…!
कुछ ना कुछ छूटना तो अनिवार्य है…!
रिश्तों की मित्रता
कभी पत्नी के दिल में भी झाककर देखों…
खोई हुई प्रेमिका मिल जाएगी…!
कभी पुत्र से मित्रता करके देखों…
जवानी फिर से थपकी दे जाएगी…!
सबसे पहला मित्र याद करके तो देखों…
माँ की याद तो आ ही जाएगी…!
बुढे पिता से परें की दो बाते कर तो देखो…
एक घुली हुई मित्रता घर में ही मिल जाएगी…!
प्रभु से मित्रता का हाथ बढा कर तो देखो…
श्री कृष्ण की लीला समझ में आ जाएगी…!
क्यूं मित्रो में रिश्तें खोजते हो…
रिश्तों में मित्र खोजो… जिंदगी बन जाएगी…!