15 Hindu God Mantra |
इन मंत्रो का जाप
सुख – सौभाग्य दायक है.
ये 15 मंत्र हर हिंदू को स्वयं सीखना
और अपने बच्चों को सिखाना चाहिए.
1. महादेव ( Mahadev )
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे,
सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ,
उर्वारुकमिव बन्धनान्,
मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् !!
ऋग्वेद से लेकर यजुर्वेद तक में इस महामृत्युंजय
मंत्र का उल्लेख मिलता है. साथ ही शिवपुराण सहित
अन्य ग्रंथो में भी इसका महत्व बताया गया है.
महामृत्युंजय, संस्कृत में उस व्यक्ति को कहते हैं
जो मृत्यु को जीतने वाला हो. इसलिए भगवान
शिव की स्तुति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का
जप किया जाता है.
इसके जप से संसार के सभी कष्ट से
मुक्ति मिलती हैं. ये मंत्र जीवन देने वाला है.
इससे जीवनी शक्ति तो बढ़ती ही है साथ ही
सकारात्मकता बढ़ती है. महामृत्युंजय मंत्र
के प्रभाव से हर तरह का डर और तणाव
खत्म हो जाते है.
शिवपुराण में उल्लेख किए गए
इस मंत्र के जप से आदि शंकराचार्य
को भी जीवन की प्राप्ती हुई थी.
महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ
त्रयंबकम – तीन नेत्र वाले
त्रिनेत्रों वाला कर्मकारक
यजामहे – हम पूजते हैं…
जिनका हम हृदय से सम्मान
करते हैं. हमारे श्रद्देय.
सुगंधिम – सुगंधित, मीठी महक वाला.
जो एक मीठी सुगंध के समान है.
पुष्टि – फलने, फूलनेवाली स्थिति.
एक सुपोषित स्थिति.
जीवन की परिपूर्णता.
वर्धनम – बढ़ने की शक्ति देता है.
वह जो पोषण करता है.
उर्वारुक – ककड़ी
इवत्र – इस तरह, जैसे
बंधनात्र – बन्धनों से
मुक्त करनेवाले
मृत्यु – मृत्यु से
मुक्षिय – हमें स्वतंत्र करें.
मुक्ति दें.
मा – न
अमृतात – अमरता, मोक्ष.
महामृत्युंजय मंत्र का
सरल अनुवाद
इस मंत्र का अर्थ है कि
हम भगवान शिव की पूजा करते हैं.
जिनके तीन नेत्र हैं, जो हर श्वास में
जीवन शक्ति का संचार करते हैं
और पूरे जगत का पालन-पोषण करते हैं.
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2. श्री गणेश ( Shri Ganesha )
वक्रतुंड महाकाय,
सूर्य कोटि समप्रभ
निर्विघ्नम कुरू मे देव,
सर्वकार्येषु सर्वदा !!
वक्रतुण्ड – घुमावदार सूंड
महाकाय – विशाल शरीर, महा काया
सूर्यकोटि – सूर्य के समान
समप्रभ – महान प्रतिभाशाली
निर्विघ्नं – बिना विघ्न
कुरु – पूरे करें
मे – मेरे
देव – प्रभु
सर्वकार्येषु – सारे कार्य
सर्वदा – हमेशा, सदैव
घुमावदार सूंड वाले
विशाल शरीर काय
करोड़ सूर्य के समान
महान प्रतिभाशाली.
मेरे प्रभु…
हमेशा मेरे सारे कार्य बिना
विघ्न के पूरे करने की कृपा करें.
जय श्री गणेश
जय हो विघ्नहर्ता
3. श्रीहरी विष्णू ( Shri hari Vishnu )
मङ्गलम् भगवान विष्णुः,
मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः,
मङ्गलाय तनो हरिः॥
भगवान विष्णु का मंगल हो
जिसके ध्वज में गरुड़ हैं
उसका मंगलमय हो…
जिसके कमल जैसे नेत्र हैं
उसका मंगलमय हो…
उस प्रभु हरि का मंगलमय हो.
4. श्री ब्रम्हाजी ( Shri Brahma ji )
ॐ नमस्ते परमं ब्रह्मा,
नमस्ते परमात्ने ।
निर्गुणाय नमस्तुभ्यं,
सदुयाय नमो नम:।।
5. श्री कृष्णा ( Shri Krishna )
वसुदेवसुतं देवं,
कंसचाणूरमर्दनम्।
देवकी परमानन्दं,
कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम।
Hindu God Mantra – इन मंत्रो का जाप सुख – सौभाग्य दायक है
6. श्री राम ( Shri Ram )
श्री रामाय रामभद्राय,
रामचन्द्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय,
सीताया पतये नमः !
7. माँ दुर्गा ( Maa Durga )
ॐ जयंती मंगला काली,
भद्रकाली कपालिनी ।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री,
स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
8. माँ महालक्ष्मी ( Maa Mahalakshmi )
ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो,
धन धान्यः सुतान्वितः ।
मनुष्यो मत्प्रसादेन,
भविष्यति न संशयःॐ ।
9. माँ सरस्वती ( Maa Saraswathi )
ॐ सरस्वति नमस्तुभ्यं,
वरदे कामरूपिणि।
विद्यारम्भं करिष्यामि,
सिद्धिर्भवतु मे सदा ।।
10. माँ महाकाली ( Maa Mahakali )
ॐ क्रीं क्रीं क्रीं,
हलीं ह्रीं खं स्फोटय,
क्रीं क्रीं क्रीं फट !!
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11. हनुमान जी ( Hanuman ji )
मनोजवं मारुततुल्यवेगं,
जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं,
श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥
12. श्री शनिदेव ( Shri Shanidev )
ॐ नीलांजनसमाभासं,
रविपुत्रं यमाग्रजम ।
छायामार्तण्डसम्भूतं,
तं नमामि शनैश्चरम् ||
13. श्री कार्तिकेय ( Shri Kartikeya )
ॐ शारवाना-भावाया नम:,
ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा ,
वल्लीईकल्याणा सुंदरा।
देवसेना मन: कांता,
कार्तिकेया नामोस्तुते ।
14. काल भैरव जी ( Kaal Bhairav ji )
ॐ ह्रीं वां बटुकाये,
क्षौं क्षौं आपदुद्धाराणाये,
कुरु कुरु बटुकाये,
ह्रीं बटुकाये स्वाहा।
15. गायत्री मंत्र ( Gayatri Mantra )
ॐ भूर्भुवः स्वः,
तत्सवितुर्वरेण्यम्
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
इस मंत्र का हिंदी में मतलब है…
हे भगवंत… कृपा करके हमारी
बुद्धि को उजाला प्रदान कीजिये
और हमें धर्म का योग्य मार्ग
दिखाईये.
सूर्य देवता के लिये
यह मंत्र प्रार्थना रूप से भी
माना जाता है.
हे भगवंत….! हमारे जीवन के दाता आप ही हैं.
हमारे दुख़ और दर्द का निवारण करने वाले आप ही हैं
हमें सुख़ और शांति प्रदान करने वाले आप ही हैं
हे इस जगत के विधाता… हमें शक्ति दो कि हम
आपकी उज्जवल शक्ति प्राप्त कर सकें.
हमारी बुद्धि को सही रास्ता दिखायें प्रभु…
आपकी कृपा सदैव बनाएं रखें प्रभु.
मंत्र के प्रत्येक शब्द की हिंदी व्याख्या:
गायत्री मंत्र के पहले नौं शब्द
प्रभु के गुणों की व्याख्या करते हैं
ॐ = प्रणव
भूर = मनुष्य को प्राण प्रदाण करने वाला
भुवः = दुख़ों का नाश करने वाला
स्वः = सुख़ प्रदाण करने वाला
तत = वह सवितुर = सूर्य की भांति उज्जवल
वरेण्यं = सबसे उत्तम
भर्गो = कर्मों का उद्धार करने वाला
देवस्य = प्रभु
धीमहि = आत्म चिंतन के योग्य (ध्यान)
धियो = बुद्धि
यो = जो
नः = हमारी
प्रचोदयात् = हमें शक्ति दें
आप खुद भी सीखे और परिवार में
बच्चों को भी सिखाये.
जय सनातन संस्कृति
🙏🌹🌷जय श्री राम🌷🌹🙏
🙏🌹🌷जय श्री कृष्णा🌷🌹🙏
हर हर महादेव
प्रतिदिन स्मरण करने योग्य शुभ सुंदर मंत्र – संग्रह
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