हिंदी कहानी | अपने रिश्तों को संभालिए उन्हें भरपूर समय दीजिए

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अपने रिश्तों को संभालिए उन्हें भरपूर समय दीजिए
अपने रिश्तों को संभालिए उन्हें भरपूर समय दीजिए

हिंदी कहानी | अपने रिश्तों को संभालिए उन्हें भरपूर समय दीजिए

सुरज ऑफिस से घर आया, रजनी पानी का गिलास लेकर आती है, सूरज पानी पिने से
मना करता है, रजनी उसका टिफ़िन का बैग लेने के लिए जैसे ही अपना हाथ बढाती है…!
सूरज अपनी बैग को पीछे लेते हुवे बोलता है… रजनी मुझे तुमसे तलाक चाहिए.

रजनी तलाक शब्द सुनते ही डर जाती है, कुछ देर तो स्तब्ध होकर खड़ी ही रहती है,
सूरज उसे आवाज लगाता है, फिर अचानक रो पड़ती है, रोते रोते रजनी सूरज से कहती है…
10 साल हमारे शादी को हुवे है, 8 साल का प्यारा सा बेटा है, हम दोनों को भी एक दुसरे से
कोई शिकायत नहीं…! फिर तलाक क्यों…?

सुरज बोला, ऑफिस में प्रिया से लगभग एक साल से प्रेम संबध सुरु है, और हम दोनों अब
शादी करना चाहते है, तुम मुझे तलाक दे दो, मैंने तुम्हारे नाम घर कर दिया है, और
बैंक बैलेंस में से आधा तुम्हारे नाम कर दिया है, ये रहे पेपर… साथ में ये तलाक के
पेपर… रजनी पेपर लेकर बेडरूम में चली गयी, सारी रात रोती रहती है.

अगले दिन सुबह बेटे के स्कूल जाने के बाद रजनी सूरज से बोली – मुझे तुम्हारा
घर और बैंक बैलेंस कुछ नही चाहिए, अगर तुम्हें मुझसे मुक्ति ही चाहिए तो मिल
जाएगी…! लेकिन आपको मेरी तीन शर्ते माननी होगी…!

अभी स्कुल में बेटे की परीक्षा सुरु है… इसिलिए मेरी पहली शर्त ये है की…
हमारे बेटे को तलाक के बारे कुछ भी पता नही चलना चाहिए.
दूसरी… 30 दिन तक हम पहले के जैसे पति पत्नी के रूप मे रहेंगे, हमारे चेहरे पर
कोई परेशानी के भाव नही आने चाहिए. और तिसरा… आप को ऑफिस से आते ही,
जब हमारी नई नई शादी हुई थी और आप मुझे अपनी गोदी में उठाकर चुमते हुए
पलंग पे बिठाते थे, वो आपको अगले तीस दिनों तक दोहराना होगा.
अगर ये तीनो शर्त आपको मंजूर हो तो मै वादा करती हूँ, 30 दिन मे तुम्हें मुझसे
मुक्ति मिल जाएगी.

सूरज बहुत खुश था बगैर पैसे दिए, सबकुछ उसके मन मुताबिक हो रहा था,
शर्त का पहला दिन सुरु हुवा… सूरज ने शाम को ऑफिस से आते ही, रजनी को
गोदी में उठाया तो उनका बेटा जोर जोर से ताली बजाने लगा और हंसने लगा,
बेटे को खुश देखकर सूरज को भी बहुत ख़ुशी हुई, गोदी में उठाने से रजनी भी
बहोत खुश थी.सूरज, रजनी और बेटा सभी खुश थे.

सूरज रोज ऑफिस से आता और रजनी को अपने वादे के मुताबिक गोदी में
उठाता, बेटा देखके ताली बजाते हुए खूब हसता, और बेटे को खुश देखकर सूरज को
बड़ी ख़ुशी होती थी.

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जब वो रजनी को उठाता और बेटे को खुश होते हुवे देखता तो खुद भी खुश होकर
अपने परिवार के लिए बहुद काम याद आते थे. उसे परीवार के लिए बहोत कुछ
करने का मन करता था. लेकीन जैसे ही प्रिया का चेहरा उसके नजरो के सामने
आता था तो वो सब भूल जाता था. अब ये रोज का हो गया…
इसी तरह बीस दिन बित गए.

21 वे दिन जब वही बात सूरज के दिमाग में आई तो सूरज का मन उसे
धिक्कराने लगा, उसे खुद पर खीझ आने लगी, उसे एहसास होने लगा था की
बस…! कुछ ही दिन मे मेरा इतना मीठा, पुराना रिश्ता खत्म हो जाएगा.

आखिर उसे अपनी गलतियों का एहसास होने लगा ओर बेटे के भविष्य का
क्या होगा यही सोचकर वह घबराने लगा,उसके हाथ पाव कापने लगे.

22 वे दिन जब ऑफिस जाने के लिए निकलता है तो वो ऑफिस जाने की बजाय
सीधा प्रिया के घर जाता है, और उसे सारी बात बताते हुवे शादी से साफ़ मना कर
देता है, प्रिया उसे जोर से थप्पड़ मार देती है, सूरज रोता हुवा, मगर अपनी
गलतियों की माफी मांगने के लिए घर आता है तो देखता है की, उसके घर के सामने
भीड़ लगी हुई है अंदर जाकर देखा तो रजनी मर चुकी थी…!

वहां मौजूद डाक्टर ने बताया पूजा को कैंसर था, उसे इलाज कि जरूरत थी,
मैने उसे बताया भी था ओर तुम्हें मिलने को कहा भी था मगर सूरज तुमने उसे
अस्पताल मे दाखिल क्यों नही किया…?

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खैर उसने ये एक खत तुम्हारे लिए छोडा था, खत सूरज को दिया जिस पर लिखा था…
सुरज हमारे बेटे को हमारे तलाक के बारे मे ना पता है, और नाही कभी पता चले
क्योंकि… मे उसकी नजरों मे हमेशा तुम्हारे लिए अपने प्यार जैसा प्यार देखना
चाहती हूं…! सूरज फूट फूट कर रो रहा था….

दोस्तों,
जिंदगी के सफर मे गुजर जाते हे जो मकाम
वो फिर नही आते ..वो फिर नही आते…
अपने रिश्तों को संभालिए उन्हें भरपूर समय दीजिए…

 

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