Hindi Kahani | दही का मूल्य | Hindi motivational Story

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Hindi Kahani | दही का मूल्य Hindi motivational Story
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Hindi Kahani | दही का मूल्य
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कोल्हे जी का छोटा सा परिवार था. इस छोटे से परिवार में कोल्हे जी, उनका एक बेटा और पत्नी,

ये तीन ही लोग थे परिवार में. तीनो हमेशा बहोत ही खुश रहते थे.

 कोल्हे जी का बेटा बहोत ही आज्ञाकारी और शांत स्वभाव का था. कोल्हे जी ने अभी कुछ ही
महीने पहले अपनी शादी की 25 वी सालगिरह बड़ी ही जोर – शोर से मनाई थी. अभी छे महीने
भी नहीं हुवे होंगे सालगिरह मनाये हुवे की अचानक उनकी पत्नी का स्वर्गवास हो जाता है.
जैसे तैसे बाप बेटे खुद को संभालते  है. एक दूसरे का सहारा बनते है.

 कुछ दिन गुजरने के बाद कोल्हे जी के मित्र और रिश्तेदार कोल्हे जी को दूसरी शादी की सलाह
देते है. लेकिन वो साफ मना करते हुवे कहते है की पुत्र के रूप में पत्नी की दी हुई भेंट मेरे पास हैं.

इसी के साथ पूरी जिन्दगी अच्छे से कट जाएगी. ऐसा कहके टाल देते है.

समय का चक्र घूमता है और बेटा बड़ा हो जाता है, कॉलेज की पढाई पूरी कर लेता है, और

अपने पिताजी के कारोबार की जिम्मेदारी खुद उठाने लग जाता है, तब कोल्हे जी उसकी
शादी कर देते है, अपना सारा कारोबार बेटे को सोप देते है, और घर बहु को सौप के खुद निश्चिंत
हो जाते है.

Hindi Kahani | दही का मूल्य
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अब कोल्हे जी का समय कभी अपने बेटे के ऑफिस में तो कभी दोस्तों के ऑफिस में बैठकर

 व्यतीत होने लगा. दोहपर में खाना खाने घर जाते थे, खाना खाकर फिर लौट आते थे.

बेटे के शादी के लगभग 4 वर्ष बाद कोल्हे जी दोहपर में अपने घर पे खाना खा रहे थे… उनका
बेटा भी उस दिन खाना खाने के लिए ऑफिस से घर आया था, और हाथ –  मुँह धोकर खाना
खाने की तैयारी कर रहा था. उसने सुना कि पिता जी ने बहू से खाने के साथ दही माँगा और
बहू ने जवाब दिया कि आज घर में दही उपलब्ध नहीं है. पिताजी ने कोई बात नहीं कह के
खाना खाकर पिताजी ऑफिस चले गये.

थोडी देर बाद बेटा अपनी पत्नी के साथ खाना खाने बैठा. बेटे ने देखा की खाने में एक कटोरी
दही भी था. बेटे ने कुछ नहीं कहा और खाना खाकर खुद भी ऑफिस के लिए निकल गया.

कुछ दिन बाद पुत्र ने अपने पिताजी से कहा – पापा आज आपको कोर्ट चलना है,

आज आपका विवाह होने जा रहा है. पिता ने आश्चर्य से पुत्र की तरफ देखा और कहा –
बेटा मुझे पत्नी की आवश्यकता नही है और मैं तुझे इतना स्नेह देता हूँ कि शायद तुझे भी
माँ की जरूरत नहीं है….

फिर दूसरा विवाह क्यों…..? बेटे ने कहा…  पिता जी, न तो मै अपने लिए माँ ला रहा हूँ
न आपके लिए पत्नी…! मैं तो केवल आपके लिये दही की व्यवस्था कर रहा हूँ.

 कल से मै किराए के घर मे आपकी बहू के साथ रहूँगा तथा आपके ऑफिस मे एक कर्मचारी
के जैसे पगार लूँगा ताकि… आपकी बहू को दही के मूल्य का पता चल सके.

Hindi Kahani | दही का मूल्य
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माँ-बाप हमारे लिये ATM कार्ड बन सकते है…. 

तो….. हम उनके लिए Aadhar Card तो बन ही सकते है.

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