नालायक बेटा | Hindi Heart Touching Story | हिंदी कहानी

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नालायक बेटा - Hindi Heart Touching Story - हिंदी कहानी - Hindi Story - suvichar

नालायक बेटा | Hindi Heart Touching Story |
हिंदी कहानी | Hindi Story – suvichar

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एक रात अचानक दो बजे के आस पास पिताजी की तबियत बिगड़ जाती है, माँ अपने दोनों बेटों के 
कमरे का दरवाजा खटखटाती है… अंदर से कोई आवाज नहीं आती… बेटों के कमरों का दरवाजा 
ना खुलने से माँ परेशान हो जाती है…  तभी उनका तीसरा बेटा माँ के सामने आ जाता है…!

माँ उसे ड्रायवर को बुलाने को कहती है… लेकिन बेटा कहता है, माँ इतनी रात को ड्राइवर को बुलाने पर
जल्दी कहा आ पायेगा…? आप हटिए मै बाबुजी को हॉस्पिटल ले जाता हु… यह कहकर सीधे बाबुजी के
कमरे में जाकर उसने अपने बाबुजी को दोनों हाथों से उठाकर सीधे निचे लाकर कार में बिठा दिया और
तेजी से कार हॉस्पिटल की ओर दौड़ाया.

बाबुजी की तकलीफ बढती जा रही थी… साथ ही बेटे की ये हरकत पें उसे डाट भी रहे थे.
बाबूजी ने दर्द से करहाते हुए बोले…. गाडी जरा धीरे चला नालायक…. कोई भी काम तू ठीक से नहीं
करता… बेटा बोला… बाबुजी आप ज्यादा मत बोलो… बस… जोर जोर से साँसें लेते रहो…
हम कुछ ही देर में हॉस्पिटल पहुँचने वाले ही हैं.
हॉस्पिटल पहुचते ही उन्हें भरती कराया और उनका इलाज सुरु हो गया…. डॉक्टर ने बेटे को बहार
रुकने के लिए कहा, तो बेटा बाहर हॉस्पिटल के हॉल में खड़ा हो गया. और गहरी सोच में डूब गया….

बाबुजी को तीन बेटे थे, ये सबसे छोटा था… बचपन से आज तक ये बेटा अपने लिये अपने बाबुजी से
नालायक ही सुनते आया था.

उसने भी कहीं न कहीं अपने मन में यह स्वीकार कर लिया था की मेरा नाम ही नालायक हैं.
क्योंकि छोटेपन से ही घर के लगभग सभी लोग इसे नालायक ही कहते थे..
जैसे… स्कूल में मार्क कम आये… नालायक ने मार्क कम लाये… पढता ही नहीं है…
नालायक कही का…! फिर से फेल हो गया नालायक…

नालायक बेटा – Hindi Heart Touching Story –

हिंदी कहानी – Hindi Story – suvichar

इस नालायक को कोई अपने यहाँ चपरासी भी ना रखे.

कोई बेवकूफ इंसान ही इस नालायक को अपनी बेटी देगा.

बस…. एक माँ ही हैं जिसने उसके असली नाम को अब तक जीवित रखा है, लेकिन आज अगर
उसके बाबुजी को कुछ हो गया तो शायद वो भी… ये ख़याल के आते ही उसकी आँखे छलक गयी
और नालायक बेटा, वही हॉस्पिटल में बने एक मंदिर में अपने बाबुजी के लिए प्रार्थना करने में
डूब गया.
अब उसकी प्रार्थना की शक्ति कहिये…. या बीमारी मामूली…   जो भी हो… उसके बाबुजी अभी
ठीक थे और सुबह सुबह ही डाक्टरों ने हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी.

सभी घर लौटे, घर लौटकर बेटे ने बाबुजी को उनके कमरे में लाकर बिस्तर पर लिटाया और उन्हें
चादर ओढा रहा था…. तभी बाबुजी एक बार फिर चीखें…
रहने दें नालायक…! तुझे तो सोचा होगा कि अब यें बुढा नहीं लौटेगा…
बेटा उदास होकर उस कमरे से निकला…. लेकिन अब माँ से रहा नहीं गया…

इतना सब तो करता है… इसके बावजूद भी आपके लिये वो नालायक ही है…?

दोनों बेटे रमेश और सुरेश अभी तक सोये हुए हैं उन्हें तो पता तक तक नही हैं की रात को क्या
हुआ है… उतना दरवाजा ठोकने और आवाज लगाने के बावजूद भी कोई नहीं आया…
अभी आते हुए बहुओं ने हमें देखा तो कुछ पूछना भी उचित नही समझा….
की कहा से आ रहे हो…
इतनी सुबह सुबह कहा चले गए थे…. ना ही बेटों को बताया होगा.
यह बिना आवाज दिये ही आ गया और किसी को भी परेशान नही किया
भगवान ना करे कल को कुछ अनहोनी हो जाती तो…?
और आप हैं की…?
उसे बेइज्जत करने का और डांटने का एक भी मौका नही छोड़ते…

कहते कहते माँ रोने लगी गई.

इस बार बाबुजी ने आश्चर्य भरी नजरों से अपनी पत्नी का बदला हुआ व्यवहार देखा
और फिर नज़रें नीचे करके शांत हो गए.
माँ रोती जा रही थी… और बोलती जा रही थी…
क्या कमी है हमारे  बेटे में… बताओं जरा…?
हाँ ये मानती हूँ की, पढाई में थोङा कमजोर था…
तो क्या हुआ…?
क्या सभी के सभी बच्चे होशियार ही होते हैं क्या ?
हमारा बेटा अपने परिवार को, हम दोनों को, घर-मकान – दुकान, रिश्तेदार
और रिश्तेदारी सब कुछ तो अच्छी तरह से संम्भाल रहा है…!
जब कि आपकी  दोनों लायक़ बेटे, जिन पर आपकी घमंड है… वे सिर्फ और सिर्फ
अपने पत्नी और बच्चों के अलावा ज्यादा से ज्यादा अपने ससुराल का ध्यान रखते हैं बस…
आपके लायक़ बेटों ने कभी पुछा भी है आपसे की, बाबुजी आपकी तबियत कैसी हैं…?

और आप हैं की…

बाबुजी बोल पडे… मीना, तुम भी मेरी भावनाओं को नही समझ पाई…!
तुम सिर्फ मेरे शब्दों को ही पकडती हो ना…?
क्या तुम्हें भी यहीं लगता हैं की… इतना सब के होने बाद भी, इसे बेटा कह के नहीं बुला पाने का,
और गले से नहीं लगा पाने का दुःख तो मुझे नही हैं…?
क्या मेरा दिल पत्थर का हैं…?

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हाँ मीना, सच कहूँ तो…  मुझे भी बहुत दुःख होता है, लेकिन उससे भी ज्यादा डर लगता है कि,
कहीं ये बेटा भी कहीं, उन बेटों की ही तरह लायक बेटा ना बन जाए.
बहुत डरता हुं मीना…! बहुत डरता हुं.

इसलिए मैं इस नालायक बेटे की पूर्णताः का अहसास, इसे अपने जीते जी तो कभी नही होने दूगाँ…!

माँ एकदम से चौंक गई…!
ये क्या कह रहे हैं आप…?
हाँ मीना…! यहीं पुरा सच हैं.
तुम इसे जो चाहो वो समझों, चाहे तुम इसे मेरा तो स्वार्थ ही कह लो.
ये कहते हुये बाबुजी रोते – रोते अपनी नजरे नीची किये हुए अपने दोनों हाथ
माँ की तरफ जोड़ दिये.
जिसे माँ ने झट से अपनी हथेलियों में भर लिया.
और कहा अरे…! अरे…! ये क्या कर रहे हैं आप…
मुझे क्यो इस पाप का भागी बना रहे हैं…!

नालायक बेटा – Hindi Heart Touching Story 

गलती तो मेरी ही हैं, मैं ही आपको इतने सालों में भी आपको पूरी तरह नही समझ पाई…!

और उधर दरवाज़े के पास से पर वह नालायक बेटा, खड़ा खड़ा ये सारी बातें सुन रहा था,
वो भी आंसुओं में सराबोर हो गया था.

एक बार तो उसके मन में आया की दौड़ कर अपने बाबुजी के गले से लग जाऊं…
लेकिन ऐसा करते ही उसके शर्मिंदा ना हों जाए, यह सोच कर वो अपने कमरे की ओर दौड़ा.
अपने कमरे तक पहुँचा भी नही था की तभी उसके कानों पे बाबुजी की तेज आवाज आती हैं….
अरे नालायक….वो दवाईयाँ कहा रखी  हैं…
गाड़ी में ही छोड़ दी क्या…?
एक काम तेरे से ढ़ंग नहीं हो पाता…! कितना समझाए…
नालायक अपने आँसू पोंछने हुये गाड़ी से सारी दवाईयाँ और रिपोर्ट निकाल कर बाबुजी के
कमरे की तरफ दौड़ते हुए गया.

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